Mithilesh Kumar
Dhanbad: धनबाद का बरटांड़ बस डिपो इन दिनों नशेड़ियों का पसंदीदा स्थल बन चुका है. शाम ढलते ही यहां जाम छलकने लगते हैं, जबकि रात गहराने के साथ डिपो का हर कोना मयखाना में तब्दील हो जाता है. कहा जाता है कि शहर के अलग अलग स्थानों से नशेड़ी यहां पहुंचते हैं और दोस्तों के साथ जाम से जाम टकराते रहते हैं.
झोपड़ीनुमा दुकान, वाहन व झाड़ियां मनपसंद जगह
बस डिपो में झोपड़ीनुमा दुकान, खड़े वाहन और झाड़ियां में इन अड्डेबाजों की मनपसंद जगह है. अंधेरा गहराने के साथ यहां जाम छलकाने का दृश्य झलकने लगता है, जबकि गांजा और सिगरेट के धुएं हवा में तैरने लगते हैं. दम मारो दम की तर्ज पर कश लगानेवाले थकते नहीं, जबकि खुमार एक बार चढ़ गया तो फिर रात भर उतरता नहीं. अफसोस की बात यह है कि बेफिक्री से इस नशाखोरी पर किसी को कोई एतराज नहीं. न तो पुलिस की नजर पड़ती है और न ही नगर निगम के अधिकारी इस मामले में कुछ करते दिखाई दे रहे हैं. रात में पुलिस पेट्रोलिंग गाड़ी सडक पर दौड़ती है, मगर बस स्टैंड के अंदर नहीं आती है, हालत यह है कि नशेड़ियों का मनोबल सातवें आसमान पर है.
स्टेंड का बाउंड्री वाल भी सुरक्षित नहीं
नशेड़ियों की अड्डेबाजी के कारण स्थानीय महिलाओं को भी परेशानी झेलनी पड़ती है. स्टैंड के आसपास चोरी और छिनतई होती रहती है. मनचले और नशाखोर डिपो की बाउंड्रीवाल को भी जहां-तहां ध्वस्त कर रास्ता बना लेते हैं. हाल ही में बाउंड्रीवॉल की मरम्मत के बाद दो बार तोड़ा गया. हालांकि उसके बाद भी तीसरी बार भी नगर निगम ने दीवार की मरम्मत कराई. गई थी. बावजूद एक गलीनुमा रास्ता फिर बना दिया गया है.
कचरा यार्ड बनता जा रहा है बस डिपो
नगर निगम के अधीन संचालित इस बस डिपो में हर दिन 100 से अधिक बसों की आवाजाही होती है. निगम उनसे टोल टैक्स भी वसूलता है.
हर साल नगर निगम को 40 से 50 लाख रुपये की आय होती है. बदले में स्टैंड बेसहारा बना हुआ है, कोई सुविधा भी यहां नहीं है. हाई मास्ट लाइट की आधी बत्ती खराब हो चुकी है. डिपो के आधे हिस्से में जंगल, झाड़ी, बेकार हो चुके वाहन, अतिक्रमण अभियान से हटाए गए कचरे और निगम की सफाई एजेंसी का वर्कशॉप है. नशेड़ियों की अड्डेबाजी से इन झाड़ियों और वाहनों में आग लगने का खतरा भी बना रहता है.
दो साल पहले निगम को मिला अधिकार
वर्ष 1960 से यह जमीन बिहार राज्य परिवहन निगम के अधीन थी. झारखंड बनने के बाद परिसंपत्ति का विवाद खड़ा हो गया. हालांकि वर्ष 2008 के बाद बरटांड़ बस स्टैंड झारखंड परिवहन विभाग को सौंप दिया गया. इधर दो साल पहले बरटांड़ बस स्टैंड व उसकी संपत्ति निगम के हवाले कर दी गई. तब से निगम 18 एकड़ में फैले इस स्टैंड के सौंदर्यीकरण के सिर्फ सपने दिखा रहा है.
थाना को सूचित किया जाएगा: अपर नगर आयुक्त
धनबाद नगर निगम के अपर नगर आयुक्त महेश्वर महतो कहते हैं कि बरटांड़ बस डिपो की देखरेख फिलहाल निगम द्वारा ही की जा रही है. डिपो में नशेड़ियों की अड्डेबाजी का मामला संज्ञान में आया है. कार्रवाई भी होगी. स्थानीय थाना को इस संबंध में सूचित किया जाएगा.
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