Dhanbad : वर्ष 2019 में इलेक्शन ड्यूटी के दौरान अपने पिता को खोने वाले धुनका हाड़ी ने एक बार फिर नियोजन की मांग को लेकर धनबाद उपायुक्त का दरवाजा खटखटाया है. धनबाद उपायुक्त हर मंगलवार और शुक्रवार को जनता दरबार लगाते हैं, जहां पीड़ितों की सुनी जाती है.. तीन वर्ष पूर्व इलेक्शन ड्यूटी में अपने पिता वीरू हाड़ी को खोने के बाद धुनका हाड़ी ने भी उसी जनता दरबार में गुहार लगाई. परंतु उपायुक्त जनता दरबार में आए ही नहीं. दरबार में एडीएम लॉ एंड ऑर्डर ताराचंद मौजूद थे. धुनका हाड़ी उन्हीं को अपना मांग पत्र सौपा. एडीएम ने वह मांग पत्र उसी झमाडा प्रबंधन को भेज दिया, जहां आश्रितों का समूह धरना पर बैठा है.
इलेक्शन ड्यूटी में हुई थी पिता की मौत
पीड़ित धुनका हाड़ी ने बताया कि इलेक्शन ड्यूटी में उनके पिता वीरू हाड़ी पाकुड़ गए थे, जहां उनकी मौत हो गई. तीन वर्ष बीत गए, लेकिन उनके आश्रित को नौकरी नहीं मिली. पिता की मौत के बाद पूरा परिवार सड़क पर आ गया. 4 बच्चों समेत विधवा मां और पत्नी सहित 7 लोगों के भरन-पोषण में कई बार दूसरों का मोहताज होना पड़ा. परंतु झमाडा प्रशासन का रवैया अब भी निराशाजनक है.
धरे रह गए जिला प्रशासन के कसमे-वादे
वर्ष 2019 से अब तक अनुकंपा पर बहाली को लेकर वह दर-दर की ठोकरें खा रहा है. पिता की मृत्यु के समय जिला प्रशासन ने कई वायदे किए थे, जो पूरा नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि नौकरी से लेकर पिता के श्राद्ध कर्म तक का जिम्मा जिला प्रशासन और झमाडा प्रबंधन ने उठाया था. परंतु पिता का पार्थिव शरीर परिजनों को सौंपने के बाद प्रबंधन सब कुछ भूल गया.
तीन साल से लगा रहे कार्यालय का चक्कर
तब से वह अब तक कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. धनबाद उपायुक्त से लेकर झमाडा एमडी तक को कई बार ज्ञापन सौंप कर बहाली की मांग की, लेकिन कुछ नहीं हुआ. आज 22 मार्च मंगलवार एक बार फिर प्रशासन का दरवाजा खटखटाया. इस उम्मीद में कि शायद उनका भी भला हो जाए. मगर उपायुक्त मिले नहीं और एडीएम लॉ एंड ऑर्डर ने फिर आश्वासन की गठरी थमा दी.
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