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धनबाद: शहर में नहीं बना कांजी हाउस, आवारा पशु फैला रहे आतंक

हर दिन सांड के शिकार हो रहे लोग, एक साल में 50 लोग हुए घायल

Dhanbad: शहर के आवारा पशुओं के लिए सुरक्षित ठिकाना खोजने में नगर निगम असफल रहा है. तीन माह बाद भी कांजी हाउस के लिए जमीन की तलाश पूरी नहीं हो पाई है. इधर शहर में आवारा पशुओं का आतंक जारी है. लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी आवासा सांड़ों से है. आए दिन लोग इन सांड़ों के हमले के शिकार हो रहे हैं. शहर के हीरापुर, चिरागोड़ा में तो बच्चे और बूढ़े सांड के डर से घर से नहीं निकल रहे हैं. इन इलाकों में सांडों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि हर गली व मुहल्ले में भय का माहौल है. पिछले एक साल में 50 से अधिक लोग सांड़ के हमले में घायल हो चुके है.

  अप्रैल माह की कोशिश हुई बेकार

नगर निगम ने इसी साल सांड पकड़ने की कोशिश शुरू की थी. इसके लिए पलामू की एजेंसी रामनंदन वेलफेयर सोसाइटी का चयन किया गया था. एजेंसी ने 1 अप्रैल को काम भी शुरू किया. पहले दिन एक शहर से सांड को पकड़कर बस्ता कोला गोशाला में छोड़ा गया था. लेकिन पहले दिन ही राहगीरों और दुकानदारो को परेशानी होने लगी. लोगों के विरोध को देखते हुए दूसरे दिन से रात को सांड पकड़ने का काम शुरू किया गया. तभी गोशाला में छोड़ा गया सांड कई पशुओं को नुकसान पहुंचा कर भाग गया. गोशाला के कर्मी भी विरोध पर उतर आए. किसी तरह तीन दिन तक सांड पकड़ने का काम हुआ. गोशाला कर्मियों के विरोध के कारण निगम को काम बंद करना पड़ा और एजेंसी भी वापस चली गई.

 झरिया में कांजी हाउस बनाने की थी योजना

गोशाला कर्मियों के विरोध के बाद निगम के अफसरों ने झरिया में झमाडा के बंद पड़े अस्पताल में कांजी हाउस बनाने की योजना बनाई थी. हालक अब निगम में इसकी कोई चर्चा नहीं है. ज्ञात हो कि20 साल पहले नगर निगम का अपना कांजी हाउस हुआ करता था. परंतु धीरे- धीरे वह बंद हो गया. कांजी हाउस आवारा पशुओं को पकड़कर रकने की उपयुक्त जगह थी.

 तैयारी अब भी चल रही है: मो अनीस

हालांकि धनबाद नगर निगम के कार्यपालक पदाधिकारी मो अनीस का कहना है कि कांजी हाउस बनाने को लेकर तैयारी चल रही है. अलग अलग विभाग के पास जमीन होने के कारण जमीन हस्तांतरण में समय लगता है. [wpse_comments_template]

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