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धनबाद : आदिवासियों का करम डालगाड़ा पर्व धूमधाम से संपन्न

Nirsa : निरसा प्रखंड के झिरका एवं आमडंगाल गांव आदिवासी समुदाय के लोगों ने  करम डालगाड़ा पर्व धूमधाम से मनाया. इस अवसर पर आमड़गाल गांव में पश्चिम बंगाल के काशीपुर से आए संथाली जानकार मोतीलाल हांसदा झिरका में धर्मपुर के कृपाशंकर टूडू ने संथाली संस्कृति के विषय में विस्तृत जानकारी प्रवचन के माध्यम से ग्रामीणों को दी. संथाली टीम ने मनमोहक नृत्य,गीत एवं वादन से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया. रविवार को पूरे सरना रीति रिवाज के साथ करम के डाल को मिट्टी में रोपने के बाद डाल गाड़ा पर्व संपन्न हुआ. उक्त अवसर पर 12 घंटे तक मांझीथान में घी का दीपक जलाया गया तथा सात प्रकार की लकड़ियों की आहुति दी गई.

क्या है करम डालगाड़ा पर्व

जानकारी देते हुए जीतपुर गांव के मांझी हड़ाम साहेब लाल मरांडी एवं बरिए बुनियादी मध्य विद्यालय निरसा के शिक्षक चुन्नीलाल किस्कू ने  बताया  कि गांव को दैवी आपदा एवं महामारी से बचाने को लेकर ग्रामीण सरना मां एवं कराम गुरु के समक्ष मन्नत मांगते हैं कि उनके गांव के सभी लोगों का दैवी विपत्ति एवं महामारी से बचाव करें. मां सरना एवं  कराम गुरु के आशीर्वाद से गांव में महामारी नहीं फैलती है.

12 घंटे तक जलता है घी का अखंड दीपक

साहेब लाल मरांडी एवं चुन्नीलाल किस्कू ने बताया कि 24 घंटे के इस पर्व के दौरान शनिवार की संध्या 6:00 बजे से दूसरे दिन सुबह के 6:00 बजे तक मांझी थान में 12 घंटे तक अनवरत घी का दीया जलाया गया. साथ में चंदन, आम, पीपल, बेर, कटहल, जामुन एवं महुआ सात प्रकार की लकड़ियों की आहुति देकर पर्व को संपन्न किया गया. आहुति देने के बाद ग्रामीण नाच गाकर मां सरना एवं कराम गुरु को धन्यवाद अर्पित करते हैं तथा मांझी थान में रखे गए करम के डाल को खाली जमीन में जाकर लगाते हैं एवं उसकी रखवाली करते हैं.

5 दिन तक गांव मांसाहार एवं नशा से दूर

जिस गांव में यह कार्यक्रम होता है, उस गांव के टोले के लोग 5 दिन पूर्व से मांसाहार एवं शराब एवं किसी प्रकार का नशा का पूरी तरह परित्याग कर देते हैं. कार्यक्रम के संपन्न होने के बाद लोग मांसाहार एवं शराब, मदिरा का सेवन कर सकते हैं. इस दौरान सभी ग्रामीण पूरी तरह सात्विक जीवन जीते हैं. यहां तक कि मांझी थान में भी किसी जीव की बलि नहीं दी जाती.

सावन छोड़ किसी भी माह में डालगाड़ा

साहेब लाल मरांडी ने बताया कि सावन माह छोड़कर किसी भी माह में डालगाड़ा पर्व संपन्न किया जा सकता है. सावन में ग्रामीण खेती किसानी में लगे रहते हैं. इस कारण सावन महीना में कार्यक्रम नहीं हो पाता. करम डालगड़ा उत्सव के दौरान मां सरना एवं कराम गुरु से गांव में शांति, फसल अच्छा हो,बाल बच्चों की दीर्घायु एवं उनकी शादी आसानी से संपन्न हो इसकी कामना की जाती है. कार्यक्रम को संपन्न कराने में सभी ग्रामीणों की भूमिका रही. यह भी पढ़ें : शीत">https://lagatar.in/coalland-in-the-grip-of-cold-wave/">शीत

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