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धनबाद : अवैध लॉटरी बेच लालबाबू बन गया करोड़पति, कभी लॉटरी खेलने में बिक गई थी गाड़ी

  • गांधी नगर के रहने वाले लालबाबू सिंह के ब्रांड की कोलियरी क्षेत्र में पकड़ 
  • पचास से अधिक हॉकर बेचते हैं लालबाबू के ब्रांड की लॉटरी
  • एक दर्जन आटो, कई चार पहिया वाहन और करोड़ों की संपत्ति का मालिक हैं लालबाबू 
Ranjit Kumar Singh Dhanbad : गांधी नगर धनसार के रहने वाले लालबाबू सिंह के पास जीवन यापन के लिए दो 407 वाहन था. फिर उसे लॉटरी की लत लग गई, लॉटरी खेलने लगा और फिर उसकी गाड़ी तक बिक गई और वह बेरोजगार हो गया. मगर फिर लालबाबू ने लॉटरी खेलना नहीं बेचना शुरू किया और अब उसके पास चार-पांच चार पहिया वाहन, एक दर्जन से अधिक ऑटो और करोड़ों की संपत्ति भी है. जी हां लालबाबू अब लॉटरी खेलता नहीं... बेचता है. लालबाबू धनसार और आसपास के इलाकों में लॉटरी धंधेबाजों में एक बड़ा नाम है. कभी वह खुद बंगाल की लॉटरी लाता था और इलाके में घूम-घूम कर बेचता था, वक्त के साथ उसने भी कारोबार का तरीका बदला, अब वह खुद का ब्रांड बिकवाता है, उसके पास भी करीब पचास से अधिक हॉकर हैं, जो उसके ब्रांड की लॉटरी को पुराना बाजार, बैंकमोड़, गांधी नगर, पानी टंकी, झरिया पुल, तेतुलतल्ला, जोराफाटक, विक्ट्री, भूली, झरिया आदि इलाकों में बेचते है. लालबाबू सिंह के ब्रांड की लॉटरी कोलियरी क्षेत्र में जमकर बिकती है.

अंसगठित मजदूर से लेकर बीसीसीएल कर्मी बनते हैं शिकार 

धनबाद : कोलियरी क्षेत्रों में लॉटरी की जमकर बिक्री होती है, चाहे असंगठित मजदूर हो, आउटसोर्सिंग में काम करने वाला हो या फिर बीसीसीएल का कर्मचारी. लॉटरी का नशा सबको अपनी गिरफ्त में लेता जा रहा है. कोलियरी क्षेत्रों में झरिया के समीर, जामाडोबा के तनवीर और लालबाबू सिंह की लॉटरी की डिमांड सबसे अधिक होती है. तीन-चार सौ रुपये प्रतिदिन की पगार लेने वाले मजदूर लालच में आकर अपनी रकम जुआ में लगा देते हैं. इन क्षेत्रों में उधारी में भी लॉटरी खरीदने की सुविधा है. लॉटरी के कारोबारी भी तकनीक का भरपूर उपयोग कर रहे हैं, बंधे ग्राहकों को वाट्सएप पर ही फोटो भेजकर उनके स्लॉट की बुकिंग की जाती है.

दो लाख जीतने के बाद इतना हारा कि लगा ली फांसी 

धनबाद : ये सच्चाई लॉटरी खेलने वाले सभी लोगों को जाननी चाहिए, क्योंकि हमेशा जुआ ही जीतता है और जुआरी हारता है. जुआ खिलाने वाले कभी नुकसान में नहीं रहते, जबकि खेलने वाले न सिर्फ आर्थिक बल्कि मानसिक, शारीरिक और सामाजिक हर तरह से बर्बाद होते हैं, इसका ही उदाहरण हैं, विक्ट्री कोलियरी के रहने वाले बीसीसीएल कर्मी सत्येंद्र चौहान. जिन्होंने लॉटरी खेलने के चक्कर में जान तक गवां दी. हुआ कि एक बार लॉटरी में उसे दो लाख रुपये का इनाम उठ गया था. यह इनाम उसके लिए मौत का कारण बन गयी. इनाम उठने के बाद वह रकम बढ़ाकर खेलने लगा, फिर कर्ज लेकर खेलने लगा, अंत में उसके सिर पर कर्जदारों का बोझ बढ़ता चला गया, बीसीसीएल में काम करने के बाद भी वो अपने कर्ज को नहीं तोड़ पाया, हर बार यही सोच रही कि शायद इस बार इनाम उठ जाए तो सारे कर्ज उतर जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और वह मानसिक रूप से टूटने लगा. 4 मार्च 2021 को उसने अपने ही घर में फांसी लगा कर जान दे दी. पत्नी और दो छोटे-छोटे बच्चों का प्यार भी सत्येंद्र का लॉटरी के प्रति दीवानगी को कम नहीं कर पाया, आज उनके बिना उनकी पत्नी और बच्चे जीवन जीने के लिए जदोजहद कर रहे हैं.

हॉकरों को 10 से 20 प्रतिशत कमीशन 

धनबाद : लॉटरी की अवैध कमाई में हॉकरों को भी मोटी कमाई का लालच दिया जाता है. बेरोजगारी के साथ-साथ कमाई इस अवैध कारोबार से जुड़ने में मददगार होती जा रही है. उपर से हॉकर को एक लॉटरी बेचने पर दस से बीस प्रतिशत कमीशन दिया जाता है. एक लॉटरी की कीमत 100 रुपये है और दिनभर में पचास लॉटरी उसने बेच दिया तो उसके पांच सौ रुपये हो गए. सिर्फ इतना ही नहीं इनाम उठने पर भी कुछ रुपये अलग से दिए जाते हैं. इन कारणों से धनबाद जिले में हजारों की संख्या में लॉटरी के हॉकर बन चुके हैं, जो इस अवैध कारोबार को आगे बढ़ाने में दिन रात जुटे हैं. नामी धंधेबाजों के पास 200-250 तक हॉकर हैं, जो न सिर्फ धनबाद बल्कि अन्य जिलों में भी लॉटरी ले जाकर बेचने का काम करते हैं. इसे भी पढ़ें : पांचवा">https://lagatar.in/fifth-test-india-took-hold-in-the-match-rohit-gill-scored-centuries-sarfaraz-and-padikkal-also-shone/">पांचवा

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