25 वर्षों से डेली पैसेंजर एक कोच में करते आ रहे हैं प्रतिमा स्थापित
Dhanbad : धनबाद से हावड़ा जानेवाली कोलफील्ड एक्सप्रेस में 17 सितंबर को स्टेशन पर भगवान विश्वकर्मा का दरबार सजेगा. 25 वर्षों से ट्रेनों में सफर करनेवाले डेली पैसेंजर इस अवसर पर एक कोच में भव्य सजावट करते हुए प्रतिमा स्थापित करते आ रहे हैं. धनबाद से ट्रेन के खुलने से पहले नारियल फोड़कर विधिवत पूजा करते है. उसके बाद ट्रेन धनबाद से हावड़ा के लिए सुबह 5.50 बजे रवाना होती है. चलती ट्रेन में ढोल-बाजा के साथ भक्त झूमतेरहते हैं व माइक पर भजन कीर्तन के साथ मंत्रोच्चाऱ करते हैं. इस पूजा में चालक-गार्ड के साथ बगैर किसी धार्मिक भेदभाव के डेली पैसेंजर शामिल होते हैं व सांप्रदायिक एकता की अनोखी मिसाल पेश करते हैं. चलती ट्रेन में पूजा की यह परंपरा ढाई दशक से अधिक पुरानी है. चलती ट्रेन में देखने को मिलता है भाईचारा
धनबाद से हावड़ा के बीच सफर के दौरान पूजा का अंदाज खास तरीके का होता है. हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई का आपसी सद्भाव देखने को मिलता है. भगवान विश्वकर्मा के साथ वे इंजन व बोगियों की भी पूजा करते हैं. चलती ट्रेन में ही यात्रियों के बीच प्रसाद का वितरण होता है.. ट्रेन को जीवन का हिस्सा समझते हैं पैसेंजर
रोजमर्रे की जिंदगी व व्यापार के लिए भी डेली पैसेंजरों का सबसे सस्ता व सुलभ ट्रेन कोलफील्ड एक्सप्रेस है. डेली पैसेंजर इसे सिर्फ ट्रेन नहीं, बल्कि अपने जीवन का हिस्सा समझते हैं. धनबाद से हावड़ा के लिए कोलफील्ड एक्सप्रेस प्रतिदिन सुबह 5.50 बजे खुलती है और 10.30 बजे पहुंचती है. वापसी में शाम 5.20 बजे खुलती है और रात 9.40 बजे धनबाद पहुंचती है. 4 घंटे 20 मिनट में धनबाद से हावड़ा के बीच सफर पूरी हो जाती है. 1998 में शुरू हुई पूजा, गंगा नदी में विसर्जन
वर्ष 1998 में भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की शुरुआत हुई थी. उसके बाद हर साल यात्रियों का एक समूह धनबाद से हावड़ा तक ट्रेन के अंदर ही विश्वकर्मा पूजा करता रहा है. धनबाद में प्रतिमा स्थापित कर पूजा होती है. उस दिन प्रतिमा ट्रेन में ही स्थापित रहती है. दूसरे दिन हावड़ा पहुंचने पर गंगा नदी में प्रतिमा विसर्जन की परंपरा है [wpse_comments_template]
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