मैथिल परिवारों में त्योहार की तैयारी में जुटीं नवविवाहिताएं
Dhanbad : पति की लंबी उम्र के लिए मनाए जाने वाला मैथिली भाषी नव विवाहिता दुल्हनों का पर्व मधुश्रावणी की शुरुआत 7 जुलाई से होगी. कोयलांचल में रहने वाले जिन मैथिली भाषियों के घर नव विवाहिता हैं उन घरों में पर्व की तैयारी जोरों चल रही है. दुल्हन के लिए फूलों की व्यवस्था की जा रही है. घरों में चित्र उकेरे जा रहे हैं. चित्र को मिथिलांचल में अरिपन कहा जाता है. अरिपन में मधुबनी या मिथिला पेंटिंग की झलक देखने को मिलती है. मांगलिक कार्य होने के कारण अरिपन में देवी-देवताओं के ही चित्र उकेरे जाते हैं. इसके अलावा व्रतियों की सुविधा के लिए अन्य व्यवस्था भी की जा रही है. इस पर्व को नव विवाहिता अपने मायके में मनाती हैं. पर्व के दौरान प्रतिदिन फुलवारी से रंग-बिरंगे फूल चुनकर बांस की डलिया में लाकर गृह देवता के समक्ष रख दिया जाता है. फिर इन फूलों से शिव-पार्वती व नाग देवता की पूजा की जाती है. व्रत के दौरान नव विवाहिता को मधुश्रावणी कथा सुनाई जाती है. कथा में दो दिन नाग देवता और 13 दिन सावित्री-सत्यवान, शिव-पार्वती, राम-सीता और राधा-कृष्ण की कथा सुनाई जाती है. पर्व के अंतिम दिन दूल्हा के घर से दुल्हन के लिए कपड़े, जेवरात, मिठाइयां व स्वादिष्ट पकवान भेजे जाते हैं.इस बार डेढ़ माह तक चलेगा पर्व
मधुश्रावणी का त्योहार सावन महीने में अमूमन 14 से 15 दिनों तक मनाया जाता है. पर्व की शुरुआत सावन मास कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से होती है और समापन शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि को होता है. लेकिन इस बार मलमास (अधिक मास) के कारण यह डेढ़ माह तक मनाया जाएगा. लंबी अवधि की वजह से इसे दो खंडों में मनाया जाएगा. पहला खंड 7 से 17 जुलाई तक और दूसरा 17 से 19 अगस्त तक मनाया जाएगा. यह भी पढ़ें : धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-members-mourn-the-death-of-jhakomyu-leader-dd-singh/">धनबाद: झाकोमयू नेता डीडी सिंह के निधन पर सदस्यों ने जताया शोक [wpse_comments_template]
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