अहिंसा परमो धर्म, जियो और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है महापर्व
Dhanbad : दिगंबर जैनियों के पर्यूषण महापर्व के दूसरा दिन बुधवार 20 सितंबर को मार्दव धर्म की पूजा की गई. मार्दव धर्म बताता है कि मनुष्य को मान (घमंड ) से दूर रहना चाहिए. अगर किसी को किसी तरह का मान या अहंकार हो जाता है तो उसका आर्थिक, व्यावहारिक, सामाजिक पतन जरूर हो जाता है. इसीलिए कहा गया है कि उत्तम मार्दव धर्म का पालन करने से मान और अहंकार का क्षय होता है और मनुष्य सच्ची विनय शीलता को प्राप्त करता है. महापर्व के दूसरे दिन धैया स्थित जैन मंदिर में प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव भगवान का अभिषेक, शांतिधारा और दशलक्षण की पूजा की गई, जिसमें समाज के सभी महिला-पुरुष मौजूद थे. ये सभी अनुष्ठान ग्वालियर से आये पंडित मुन्ना लाल के मार्ग दर्शन में पूरा किया जा रहा है.
बता दें कि पर्यूषण पर्व जैनियों के सभी त्योहारों में सबसे महत्वपूर्ण है. इसे सभी पर्वो का राजा माना जाता है. इस पर्व में 10 दिन तक जैन समाज के लोग उपवास और तप करते हैं. पर्व भाद्रपद मास की पंचम तिथि से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाता है. यह पर्व भगवान महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म, जियो और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है. महापर्व के जरिए जैन समाज के अनुयायी उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम सत्य, उत्तम संयम, उत्तम तप, उत्तम त्याग, उत्तम ब्रह्मचर्य और आत्मसाधना करते हैं. आज के कार्यक्रम में प्रमोद जैन, विनोद गोधा, विनीत जैन, संतोष जैन, विनोद गंगवाल, आकाश जैन, स्वाति जैन , करुणा जैन, तारा देवी जैन ,पायल शाह, संतोष देवी आदि शामिल थे.