विश्वविद्यालय की स्थापना से क्षेत्र में जगी थी उम्मीद
पत्र में कहा गया है कि लंबे संघर्ष के बाद, धनबाद में एक अलग विश्वविद्यालय का सपना 2017 में धनबाद में साकार हुआ. धनबाद के सभी खुशी और उम्मीदों के बीच बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय की स्थापना हुई. कुछ ही दिनों में भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया, भवन के बुनियादी ढांचे के निर्माण को मंजूरी दी गई और रिकॉर्ड गति से राशि स्वीकृत की गई. निर्माण कार्य चल रहा है और इसके बहुत पहले पूरा होने की संभावना है. सब कुछ फास्ट ट्रैक पर लग रहा था.विश्विद्यालय की वर्तमान स्थिति संतोषजनक नहीं
परंतु अभी स्थिति संतोषजनक नहीं है. विश्वविद्यालय अंशकालिक कुलपतियों के साथ काम कर रहा है, जिनसे सितंबर 2021 से प्रतिबद्धता और दूरदृष्टि की अपेक्षित भावना की उम्मीद नहीं की जा सकती है. मई 2021 के बाद से प्रो वाइस चांसलर के रूप में नेतृत्व की दूसरी पंक्ति भी नहीं है. इसके अलावा, शिक्षकों और अधिकारियों के पदों को भरने की आवश्यकता है, जो शुरू में सृजित और स्वीकृत किए गए थे.कॉलेजों में शिक्षकों की न्यूनतम संख्या भी नहीं
जेपीएससी को उस दिशा में तुरंत कार्रवाई करने की सलाह दी जानी चाहिए. नए विश्वविद्यालय के निर्माण के बाद, स्थानीय घटक कॉलेजों में काम करने वाले अधिकतर शिक्षकों को विश्वविद्यालय के विभागों में स्थानांतरित कर दिया गया, जिससे घटक कॉलेजों में उचित कामकाज के लिए आवश्यक शिक्षकों की न्यूनतम संख्या भी नहीं थी. पत्र में राज्यपाल से अनुरोध किया गया है कि उचित कदम उठाते हुए उपरोक्त मुद्दों को जल्द से जल्द हल किया जाए. यह भी पढ़ें : धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-decision-to-increase-facilities-of-devotees-in-bhagwati-jagran-committee-meeting/">धनबाद: भगवती जागरण कमेटी की बैठक में भक्तों की सुविधा बढ़ाने का निर्णय [wpse_comments_template]

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