Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) देने वाले किसी को गरीबी न दे, मौत दे, दे, मगर बदनसीबी न दे… साठ के दशक में बनी फिल्म पतंग का यह गाना आज भी उन बदनसीबों पर सटीक बैठता है, जो दिन भर मेहनत-मजदूरी कर फुटपाथ पर रात गुजारने को विवश हैं. केंद्र सरकार की नई अधिसूचना इन गरीबों के जले पर नमक छिड़कने के समान है. अधिसूचना के मुताबिक आश्रय गृह सिर्फ 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में ही चलाए जाएंगे. छोटे शहर व नगर निकाय में गरीबों को ऐसे ठौर-ठिकाने की जरूरत नहीं है. क्योंकि ऐसी जगहों के मजदूर या अन्य कामगार काम निपटा कर घरों को लौट जाते हैं. केंद्र ने झारखंड सहित अन्य राज्य सरकारों को ऐसे आश्रय गृह बंद करने का आदेश दे दिया है.
धनबाद नगर निगम को भी भेजी गई है चिट्ठी
नगर विकास एवं आवास विभाग ने विगत 31 मार्च को धनबाद के नगर आयुक्त को भी चिट्ठी भेजी है. चिट्ठी में कहा गया है क् धनबाद सहित कुल 32 नगर निकायों में 56 आश्रय गृह चल रहे हैं. केंद्र सरकार के आदेश में 10 लाख से अधिक आबादी वाले क्षेत्र में आश्रय गृह चलाना है. दीन दयाल उपाध्याय शहरी आजीविका मिशन (डे – एनयूएलएम) 2.0 में इस प्रस्ताव को शामिल किया गया है. परंतु कोई स्पष्ट निर्देश नहीं मिला है. इसलिए शहर में आश्रय गृह के संचालन के लिए रखी गई एजेंसियो को कार्य मुक्त किया गया है. नया आदेश आने तक निगम को अपने बूते सभी आश्रय गृह का संचालन करना होगा. केंद्र या राज्य सरकार खर्च का भुगतान नहीं करेगी.
नि:शुल्क व्यवस्था हुई खत्म
धनबाद में अभी तीन आश्रय गृह हैं. एजेंसी को हटाए जाने के बाद दो बंद हो चुके हैं. सिर्फ एक का संचालन हो रहा है. नगर मिशन प्रबंधक सुमित कुमार सिंह ने बताया कि गोल्फ ग्राउंड स्थित आश्रय गृह सिर्फ महिलाओं के लिए है. इसके संचालन की जिम्मेवारी महिला स्वयं सहायता समूह को दी गई है. व्यवस्था में भी परिवर्तन किया गया है. पहले यहां रहने की नि: शुल्क व्यवस्था थी. परंतु अब यहां रुकनेवाले को हर दिन ₹25 भुगतान करना होगा. अन्य दो स्थान पुरुषों के लिए हैं. योग्य संस्थान की तलाश की जा रही है. हालांकि धनबाद शहरी क्षेत्र की आबादी 10 लाख से अधिक है. इसलिए केंद्र सरकार के आदेश का असर यहां नहीं पड़ेगा. नया आदेश आने तक आश्रय गृह शुल्क के साथ चलता रहेगा. क्योंकि सरकार ने एक अप्रैल से पैसा देना बंद कर दिया है.
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