अस्पताल प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट का खटखटाया दरवाजा
Dhanbad : धनबाद की रंगूनी बस्ती में बन रहे असर्फी कैंसर अस्पताल का मामला उलझता जा रहा है. अस्पताल की जमीन से संबंधित विवाद के मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने पाल बदर्स के पक्ष में फैसला सुनाया है. इसके खिलाफ असर्फी अस्पताल प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. असर्फी अस्पताल के प्रबंधक हरेन्द्र सिंह ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अभय एस ओका व पंकज मिथल की खंडपीठ 9 अक्टूबर को मामले की सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुनाते हुए सभी पक्षकारों को नोटिस भेजकर एक्सक्यूशन सहित इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट सहित अब तक पारित सभी अदालतों के निर्णयों पर रोक लगा दी है.
ज्ञात हो कि असर्फी अस्पताल ने रंगूनी बस्ती में 11.92 एकड़ में कैंसर अस्पताल का निर्माण कराया है. इसके साथ ही पिछले अप्रैल से वहां मरीजों का इलाज भी शुरू कर दिया गया है. वहां कैंसर मरीजों को रेडिएशन थेरेपी सहित सभी तरह के इलाज की सुविधा दी जा रही.
क्या है मामला
अस्पताल के प्रबंधक हरेन्द्र सिंह ने बताया कि दत्ता परिवार और पॉल परिवार के बीच उक्त जमीन का विवाद जमींदारी उन्मूलन के पहले चल रहा था. लेकिन नियमों के अनुरूप एक जनवरी 1956 को जमींदारी उन्मूलन के बाद उक्त पूरी जमीन झारखंड सरकार की संपत्ति हो गई. यह बात जानते हुए भी दत्ता परिवार ने सहारा इंडिया को पूरी 85 एकड़ जमीन बेच दी. इसके बाद पॉल परिवार ने जयप्रकाश राय के साथ पूरी जमीन को बेचने के लिए एग्रीमेंट किया. लेकिन जयप्रकाश राय के साथ पैसों को लेकर विवाद हो गया. इसके चलते पॉल परिवार ने पूरी जमीन भावेश कमोट्रेड को बेच दी. भावेश कमोट्रेड के नाम से जमीन की रजिस्ट्री भी हो गई. पॉल परिवार अब एक बार फिर से इस जमीन को बेचने के लिए जयप्रकाश राय को जिम्मा दे दिया है. अस्पताल प्रबंधक ने बताया कि कोर्ट का आदेश दिखाकर जयप्रकाश राय गलत ढंग से कई लोगों से पैसा लेकर जमीन बिक्री का एग्रीमेंट भी कर रहे हैं. इसे देखते हुए भावेश कोमोट्रेड ने हाल ही में आम इस्तेहार प्रकाशित करवाया था. उन्होंने कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले के मूल में जाकर फैसला सुनाएगा.
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