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धनबाद : अब खतियान आधारित नियोजन नीति के लिए होगा आंदोलन: अजीत महतो

Dhanbad : झारखंड को अलग राज्य का दर्जा इसीलिये नहीं मिला कि झारखंड का विकास हो. अगल राज्य का दर्जा झारखण्डियत के विकास के लिए दिया गया है. झारखंड कोई चारागाह नहीं है. जिसके पास 1932 का खतियान है, वही झारखंडका वासी है. झारखंडअब जवान हो गया है. यहां के स्थानीय नौजवान 5 हजार ओर 10 हजार के लिए अब दिल्ली मुंबई नही जाएंगे. उन्हें अपने राज्य में ही रोजगार चाहिए. अब झारखंड में बिना नीति नियोजन नहीं. उक्त बातें झारखंडी भाषा संघर्ष समिति से जुड़े छात्र नेता अजीत महतो ने 21 फरवरी को विश्व मातृभाषा दिवस पर लगातर संवादाता के साथ खास बातचीत में कही. उन्होंने कहा कि सूबे की हेमंत सरकार उनके 57 दिनों के संघर्ष के सामने झुकी और धनबाद, बोकारो जिले से भोजपुरी-मगही को स्थानीय भाषाओं की श्रेणी से बाहर कर दिया. इसके लिए हमारी माताएं,  बहनों और भाइयों के दिलो को काफी सुकून मिला है.    उन्होंने कहा कि हमारे 24 साल की उम्र में यह पहला आंदोलन था, जिसमें बिना पैसे और दारू के हजारों हजार की संख्या में घर की महिलाएं व पुरुष शामिल हुए और सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया. उन्होंने कहा कि 1957 में ईस्ट इंडिया कंपनी का जब छोटा नागपुर में दखल हुआ था तो सिद्धू कान्हू के नेतृत्व में विद्रोह हुआ था. उस वक्त महिलाएं तीर धनुष लेकर निकली थी. आज छोटानागपुर की महिलाएं अपने अधिकार के तहत 1932 का खतियान लागू कराने के लिए फिर से जाग गई हैं. कहा कि शहीद निर्मल महतो,  बिनोद बिहारी महतो ओर वीर सिद्धू कान्हू का खून अभी भी बाकी है. उन्होंने कहा कि हमारी लड़ाई बिहार और यूपी वालों से नहीं, सीधे सरकार से है. उन्होंने कहा कि यह हमारी पहली जीत है. अब खतियान आधारित नियोजन नीति की मांग को लेकर आंदोलन तेज किया जाएगा. यह भी पढ़ें : धनबाद:">https://lagatar.in/dhanbad-ryot-family-blocked-the-coal-project/">धनबाद:

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