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धनबाद : एक तरफ खेलो इंडिया का नारा, दूसरी तरफ शहर से गायब होने लगे हैं खेल के मैदान

मैदानों में बन रहे पार्क और पार्किंग, सालों भर लग रहा मेला, घट रही खेल प्रेमियों की तादाद
Dhanbad : शहर से एक के बाद एक खेल के मैदान गायब हो रहे हैं. यह खेल जिला प्रशासन की देखरेख में चल रहा है. पहले गोल्फ ग्राउंड के आधे से अधिक हिस्से को पार्क बना कर खत्म करने की कोशिश हुई. उसके बाद हीरापुर चिल्ड्रेन पार्क को बाइक स्टैंड बना दिया गया और अब कोहिनूर मैदान भी खत्म हो चुका है. मैदान के बड़े हिस्से में अब सब्जी दुकानें खुल चुकी है. [caption id="attachment_713074" align="alignnone" width="300"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/07/KOHINOOR-MAIDAN-300x135.jpg"

alt="" width="300" height="135" /> कोहिनूर मैदान में बनी दुकानें और बिल्डिंग[/caption] वहीं झारखंड मैदान के चारों ओर सरकारी भवन बन चुका है. शेष बचे हिस्से में मेला, पूजा और विवाह के सीजन में पंडाल और वाहने खड़ी होती है. जिला परिषद मैदान में सालों भर मेला लगा रहता है. कुछ इलाकों में बचे सरकारी जमीन को भू माफियाओं ने कब्जा कर बहुमंजिला इमारत खड़ी कर दी है. एसे में शहर में खेलने कूदने की अब जगह ही नहीं बची है और ना ही इसके लिए कोई आवाज उठाने वाला है.

बरसात के सीजन में शहर में फुटबॉल की रहती थी गूंज

80 से 90 के दशक में धनबाद में फुटबॉल मैच खूब खेले जाते थे. लोगों की भीड़ भी जुटती थी और लोग इस खेल का घंटो आनंद लेते थे. जिला ही नहीं बंगाल, उड़ीसा के खिलाड़ी भी शामिल होते थे. बरसात के सीजन में यह खेल खूब खेला जाता था. शहर का गोल्फ ग्राउंड और झारखंड मैदान फुटबॉल के लिए मशहूर था. लेकिन अब यहां मेला के साथ कई अन्य आयोजन होते है और मैदान भी सिकुड़कर पहले से आधा हो चुका है.

                 70 से अधिक थे रजिस्टर्ड क्लब

कभी धनबाद में 70 से ज़्यादा रजिस्टर्ड फुटबॉल क्लब हुआ करते थे. हर क्लब एक दूसरे के साथ मैच खेलते थे. खिलाड़ियों के बीच एक दूसरे के प्रति प्रतिस्पर्धा थी. एक-एक माह तक मैच का आयोजन होता था, दूर दराज से लोग देखने पहुंचते थे. लेकिन अब ये अतीत की बातें हो गईं है.

           अब शहर में बच्चे सिर्फ करते हैं प्रैक्टिस

शहर में मैच के दिन तो खत्म हो चुके हैं, लेकिन सिकुड़ चुके मैदान में आज भी बच्चे क्रिकेट, फुटबॉल, वॉलीबॉल, दौड़ के लिए सुबह शाम मैदान में जमा होते है. लेकिन प्रति स्पर्धा नहीं होने के कारण बच्चों की रुचि कम हो गई. पहले की तुलना में मैदान में खेलने वालों की संख्या घटकर आधी हो चुकी है. यही हाल रहा तो एक दिन बच्चे खेल से पूरी तरह दूरी बना लेंगे. यह">https://lagatar.in/dhanbad-protest-against-ucc-at-dc-office-memorandum-submitted-to-the-president/">यह

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