ज्वलनशील पदार्थ से आग का खतरा, दुर्गंध से भी परेशान रहते हैं कॉलोनीवासी
Dhanbad : सदर थाना क्षेत्र के हंस बिहार कॉलोनी में फिनाइल कारखाना का स्थानीय लोगों ने विरोध किया है. हंस विहार के लोगों का कहना है कि कहा कि इतनी बड़ी जनसंख्या वाले क्षेत्र में इस तरह का कारखाने लगाना उचित नहीं है. कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है. फिनाइल बनाने में इस्तेमाल होने वाला पदार्थ ज्वलनशील होता है, जो प्लास्टिक के जार (पात्र) में होता है. उससे आगजनी का खतरा बना रहता है. इन सभी कारणों से कॉलोनी वासी भयभीत और आक्रोशि हैं. लोगों ने कारखाना दूसरी जगह स्थानांतरित करने की मांग की है.
स्थानीय डॉक्टर जयंत ने कहा कि वर्षों से यहां स्थापित फिनाइल कारखाने के मालिक से यहां के लोगों ने इसे हटाने का आग्रह भी किया था. लेकिन कंपनी के मालिक उनकी बातों को अनसुना करते हुए धड़ल्ले से कारखाना चला रहे हैं. तनुश्री मुखर्जी कहती हैं कि कई बार विभाग से भी बात की गई है, लेकिन उनकी नहीं सुनी गई. स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके पास प्रदूषण नियंत्रण का कोई साधन नहीं है और न किसी प्रकार के कागजात हैं. मांगे जाने पर भी कागजात नहीं दिखाते हैं. उनसे आग्रह भी किया गया कि कहीं दूसरी जगह कारखाने को शिफ्ट कर दें. लोगों ने कहा कि फिनाइल की दुर्गंध से परेशानी होती है. संबंधित क्षेत्रीय पदाधिकारी राम प्रवेश कुमार से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि मामले की जांच की जा रही है. जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी.
जांच करने पहुंचे प्रदूषण विभाग के अधिकारी
रिहायशी इलाके में शुमार हंस विहार कॉलोनी के आवासीय परिसर में अवैध तरीके से चल रही फैक्ट्री से सम्बंधित आरोप की जांच करने प्रदूषण विभाग के क्षेत्रीय पदाधिकारी रामप्रवेश कुमार पहुंचे. टीम ने पाया कि वहां ब्लीचिंग पाउडर और फिनाइल के छोटे-छोटे बॉटल और पैकेट में पैक करने की पैकेजिंग यूनिट सांचलित है. कैप्सूल से प्लास्टिक बोतल बनाने का काम भी चल रहा है.
शिकायतकर्ता के आवास में भी चल रहा धंधा
शिकायतकर्ता महिला तनुश्री दत्ता के आवास में भी व्यावसायिक तरीके से गैस रिफिलिंग का काम चल रहा था. इसके बाद विभाग ने दोनों को तलब करते हुए कागजात के साथ ऑफिस बुलाया. फैक्ट्री संचालक संदीप मित्तल ने बताया कि उसकी फैक्ट्री को ग्रीन कैटेगरी प्राप्त है. इससे किसी तरह का कोई प्रदूषण नहीं होता है. राज्य स्तर पर दो बार उसे पुरस्कार मिल चुका है. महिला सशक्तीकरण के लिए उनका यह प्लांट चल रहा है. सभी आरोप बेबुनियाद और मनगढ़ंत हैं.
प्रदूषण विभाग ने दोनों को दिया नोटिस
पूरे मामले की जानकारी देते हुए जांच करने पहुंचे प्रदूषण विभाग के अधिकारी ने बताया कि संचालक के पास वैध सीटीओ नहीं है. फिनाइल और ब्लीचिंग पाउडर की रिफिलिंग की जा रही थी. कम्प्रेशर की ध्वनि की जांच की गयी तो वह तय मानक से ज्यादा थी. शिकायत करने वाली महिला के घर में भी फायर फाइटर गैस रिफिलिंग करने का काम चल रहा है. उसकी भी जांच भी होगी. दोनों को नोटिस दिया गया है.
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