निरसा में झारखंड बांग्ला भाषा उन्नयन समिति की बैठक में जुटे समाज के लोग
Nirsa : झारखंड बांग्ला भाषा उन्नयन समिति की बैठक 3 जुलाई सोमवार को निरसा के बड़मुड़ी हरि मंदिर प्रांगण में हुई. समिति के संस्थापक बेंगू ठाकुर ने कहा कि झारखंड अलग राज्य बने 23 वर्ष हो गए. इस दौरान राजनीतिक दलों के नेताओं ने राज्य में बांग्ला भाषा को हांसिए पर लाकर रख दिया. सभी ने इस समृद्ध भाषा को फुटबॉल समझा और जो भी आया एक शॉट लगाकर चलते बना. लेकिन सच्चाई यह भी है कि सभी राजनिति दल जानते हैं कि अगर बांग्ला भाषा-भाषी एक हो गए, तो झारखंड को चलाना आसान नहीं होगा. इसका असर अगले साल होने वाले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में जरूर दिखेगा. चुनाव से पहले बंग भाषी एकजुट होकर निर्णय लेंगे.
समिति के प्रखंड अध्यक्ष बबलू दास ने कहा कि बांग्ला भाषा के साथ भेदभाव के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत निरसा से होगी. जो भाषा के पक्ष में आवाज उठाएंगें, अगले चुनाव में बांग्ला भाषी 26 जातियों के लोग एकजुट होकर उसके पक्ष में वोट देंगें. उन्होंने प्राथमिक से लेकर उच्च विद्यालयों में बांग्ला भाषा की पढ़ाई कराने व इसके लिए बांग्ला शिक्षक की नियुक्ति की मांग की. सुलेखा बागाती की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में उज्जवल डे, लालमोहन खेमरई, समीर, जानकी डे, गणेश वागती, जोहर मोदक, भीम रवा, रूप बाउरी, डोटी बाउरी, निली बाउरी, धमी बाउरी, चिन्ता दत्ता, भीखू दत्ता, झूमा दत्ता, कुश बाउरी आदि उपस्थित थे.
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