कार्यालय हो या नोटिस बोर्ड, हर विभाग से लगभग गायब है हिन्दी
Niraj Kumar
Dhanbad : हिन्दी भारत की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक है. इसे राजभाषा का दर्जा भी हासिल है. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश की दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ता देख तत्कालीन जागरूक लोगों ने हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए कई प्रयास किये. इसी कड़ी में वर्ष 1953 में 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई. इसके बाद हर वर्ष देश की विभिन्न संस्थाओं द्वारा इस दिवस पर हिन्दी में काम करने की शपथ ली जाती है
सभी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में छाई हुई है अंग्रेजी
शपथ भले ही ले ली जाती है, मगर बोलबाला अंग्रेजी का ही रहता है. हर कार्यालय की बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय, उसके अधीन सभी अंगीभूत व संबद्ध कॉलेजों में ज्यादातर काम अंग्रेजी में ही होते हैं. उदाहरण नोटिस बोर्ड पर देखने को मिलता है. लगभग सभी नोटिफिकेशन अंग्रेजी में ही जारी किए जाते हैं.
आईआईटी व सिंफर भी पीछे नहीं
आईआईटी-आइएसएम और सीएसआईआर-सिंफर में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर से हिन्दी पखवारा मनाया जाता था. परंतु इस वर्ष दोनों संस्थाओं में इस तरह का कोई कार्यक्रम नहीं है. पिछले वर्ष तक दोनों संस्थाओं में हिन्दी में काम करने की शपथ ली जाती रही है. हालांकि दोनों संस्थाओं के कार्यालय का काम और वेबसाइट पर जारी नोटिफिकेशन को चेक किया जाए तो सभी कार्य अंग्रेजी में मिलेंगे.
बीसीसीएल-रेलवे में भी हिन्दी दिवस मात्र खानापूर्ति
ज़िले के बड़े सरकारी उपक्रमों में शामिल बीसीसीएल व रेलवे में भी हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक वर्ष शपथ ली जाती है. हालांकि यह मात्र औपचारिकता है. काम सभी अंग्रेजी में ही होते हैं. बीसीसीएल के मातृ संगठन कोल इंडिया के सभी नोटिफिकेशन, आर्डर, पत्र अंग्रेजी में ही जारी होते हैं.
हिन्दी विभाग बना कर कर्तव्य की इतिश्री
लगभग सभी संस्थाओं में हिन्दी विभाग का गठन किया गया है. ये विभाग संस्था में हिन्दी को बढ़ावा देने के काम में लगे रहते हैं, जो हिंदी पखवारा व वर्ष में एक-दो कार्यक्रम तक सीमित रहता है. इन संस्थाओं में कामकाज हिन्दी में तो नहीं होता, मगर विभाग काम करता रहता है. कार्यालय के सारे कामकाज में हिन्दी शायद ही कहीं नजर आती है.
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