लोगों की तकलीफ कम करने में दें सहयोग
जिस प्रकार प्रभु यीशु की मां माता मरियम अपनी गर्भावस्था के दौरान अपनी तकलीफों को किनारे रखते हुए एक दूसरी गर्भवती स्त्री, जो उनसे कहीं ज्यादा तकलीफ में थी, सहारा देने तथा उनकी तकलीफों को कम करने के लिए लंबी यात्रा कर उनके पास गई थी. ठीक उसी तरह हमें भी अपने जीवन में कई तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ता है और हम उनसे त्राहि-त्राहि हो जाते हैं. जरूरत है हम दूसरों की तकलीफ कम करने की कोशिश करें.दूसरों का दुख बांटना सबसे बड़ा उपहार
दूसरी ओर आज के समय में क्रिसमस का दूसरा नाम सांता क्लॉज का आना हो गया है, जो हमें कई तरह के गिफ्ट बांटते हैं और हमें सुख की अनुभूति प्राप्त होती है. यह खुशी क्षणभंगुर होती है, क्योंकि यह पैसे से खरीदी गई होती है. अच्छा होगा यदि हम अपने आप को उपहार स्वरूप लोगों को उपलब्ध कराएं अर्थात पैसों से दूसरों की खुशी खरीदने की बजाय आप उनसे मिलने जाएं, उनके साथ समय व्यतीत करें, उनके सुख-दुख को सुनें और उनके सह भागी बनें . ऐसा करने से सामने वाले को असीम आनंद की अनुभूति होगी, उनकी आंखों में सच्ची खुशी को देख पाएंगे.इस वर्ष चरणी का निर्माण नहीं
अंत में चर्च के फादर ने संक्रमित महामारी की तीसरी लहर के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए इस वर्ष सभी से आध्यात्मिक रूप से क्रिसमस मनाने के लिए आग्रह किया. उन्होंने बताया कि इस वर्ष प्रभु यीशु के जन्म पर आधारित भव्य चरणी का निर्माण नहीं किया जा रहा है. यह भी पढ़ें : जामताड़ा">https://lagatar.in/jamtara-painting-competition-in-dav-students-showed-talent/">जामताड़ा: डीएवी में चित्रांकन प्रतियोगिता, छात्रों ने दिखाई प्रतिभा [wpse_comments_template]
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