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धनबाद: विपत्तारिणी की पूजा-अर्चना के साथ ‘विपदा हरो मां’ की प्रार्थना

 Dhanbad : जिले के विभिन्न देवी मंदिरों में मंगलवार 27 जून को विपत्तियों से मुक्ति की कामना लिये भक्तों ने मां विपत्तारिणी की पूजा अर्चना की. महिलाओं ने दिनभर उपवास रखा व 13 प्रकार की मिठाइयों का भोग लगाकर देवी की आराधना की. व्रतियों ने विपत्तियों से मुक्ति की प्रार्थना की. वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पूजा अर्चना के बाद आरती की गई. उसके बाद महिलाओं ने एक दूसरे की मांग में सिंदूर भरकर पतियों की लंबी उम्र की कामना की. श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का भी वितरण किया गया. शहर के हीरापुर हरि मंदिर, तेलीपाड़ा काली मंदिर, सरायढे़ला दुर्गा मंदिर, कोयला नगर दुर्गा मंदिर, जगजीवन नगर दुर्गा काली मंदिर के अलावा ग्रामीण क्षेत्र ढोकरा, दामोदरपुर, करमाटांड़, आमटाल आदि जगहों में भी मां विपत्तारिणी की पूजा श्रद्धा भाव से की गई.

             पूजा में संख्या 13 का विशेष महत्व

[caption id="attachment_681072" align="aligncenter" width="300"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/aamtal-1-300x200.jpg"

alt="" width="300" height="200" /> तेलीपाड़ा काली मंदिर में जुटे श्रद्धालु[/caption] मां विपत्तारिणी मां काली व मां दुर्गा का ही एक अन्य स्वरूप है. मान्यता है कि महिलाएं जो भी मन्नतें श्रद्धा भक्ति के साथ मांगेंगी, वह पूरी होंगी. इस पूजा में वरद सूत्र (रक्षासूत्र) बांधने की परंपरा है, जो 13 दूब से तैयार किया जाता है. मां को 13 प्रकार के फल, फूल, मिठाई, पान, सुपारी व दूब आदि का भी भोग लगाया गया. ऐसी मान्यता है कि इस पर्व में रक्षासूत्र बांधने से पति व संतान पर आनेवाली हर विपत्ति टल जाती है.

    रथयात्रा के बाद प्रथम मंगलवार व शनिवार को पूजा

[caption id="attachment_681074" align="aligncenter" width="300"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/06/aamtal-1-1-300x200.jpg"

alt="" width="300" height="200" /> आमटाल हरि मंदिर में पूजा-अर्चना करते लोग[/caption] बंगाली समुदाय के लोग यह पूजा बेहद उत्साह के साथ मनाते हैं. सभी ने विधि-विधान के साथ मां विपत्तारिणी की पूजा की. हीरापुर स्थित काली मंदिर में बंगाली समुदाय की महिलाओं का उत्साह परवान पर था. सुहागिनें पति, संतान और पूरे परिवार के कल्याण के लिए पूजा करती हैं. बताया गया कि रथयात्रा के बाद जो पहला मंगलवार व शनिवार पड़ता है, उस दिन यह पूजा करने की परंपरा है. महिलाओं ने दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को व्रत तोड़ा. [wpse_comments_template]

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