इस बार डीवीसी प्रबंधन के साथ आर-पार की लड़ाई: वासुदेव महतो
Maithon : मुआवजा व नियोजन की मांग को लेकर डीवीसी मैथन के प्रशासनिक भवन के समक्ष विस्थापितों का धरना चौथे दिन 8 जुलाई शनिवार को भी जारी रहा. डीवीसी प्रबंधन ने विस्थापितों के साथ समझौता वार्ता या आंदोलन समाप्त कराने की कोई पहल नहीं की. प्रबंधन 12 जुलाई को डीवीसी मुख्यालय कोलकाता में उच्च अधिकारियों के साथ विस्थापित प्रतिनिधियों को वार्ता कराने के प्रस्ताव पर कायम है. प्रबंधन का कहना है कि विस्थापितों की जो भी मांग है, उसका समाधान मुख्यालय स्तर पर ही हो सकता है. इसलिए प्रतिनिधियों को कोलकाता जाना चाहिए और तबतक आंदोलन बंद कर देना चाहिए. इधर विस्थापितों का कहना है वे अपने खर्च से कोलकाता जाने में सक्षम नहीं है. डीवीसी प्रबंधन अपने खर्च से कोलकाता ले जाये तो जाने को तैयार हैं. विस्थापितों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे वास्तुहारा संग्राम समिति के महासचिव वासुदेव महतो ने कहा कि इस बार डीवीसी प्रबंधन के साथ आर-पार की लड़ाई है. कहा कि 76 वां स्थापना दिवस मना रहा है. पार्टी व जश्न मनाने में लाखों रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन कुछ विस्थापित प्रतिनिधियों को कोलकाता ले जाने के लिए डीवीसी के पास पैसा नहीं है. श्री महतो ने कहा कि डीवीसी के निर्माण से झारखंड वासियों को विस्थापन के दर्द के अलावा क्या मिला. 75 वर्ष से विस्थापित अपने हक के लिए दर दर के ठोकरें खाने को मजबूर हैं. दर्जनों विस्थापित मुआवजा व नियोजन का इंतजार करते स्वर्ग सिधार गये. धरना स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर स्थानीय पुलिस एवं सीआईएसएफ मुस्तैद है. धरना में पारसी किस्कू, विश्वनाथ मंडल, रमनी किस्कू, हपनी बास्की, गणेश हांसदा, सुनील हांसदा, खुविराम महतो, चांद हांसदा, मालिनी मुर्मू, मंगल मुर्मू, श्याम मराण्डी, बाबूजान हेम्ब्रम, पार्वती मराण्डी, लखी हेम्ब्रम, सुकूरमनी हेम्ब्रम, लखी बास्की सहित काफी संख्या में विस्थापित शामिल हैं. [wpse_comments_template]
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