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धनबाद : अकड़ मुर्दों की पहचान, झुकना इंसान की शान : दीदी नर्मदेश्वरी

Nirsa : अकड़ तो मुर्दों की पहचान होती है झुकना इंसान की शान है. मनुष्य मनुष्य ही रहे तो किसी देवता से कम नहीं. उक्त बातें दीदी नर्मदेश्वरी ने मैथन एरिया 5 में शतचंडी महायज्ञ के सातवें दिन भक्तों के बीच प्रवचन करते हुए कही. उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति को भगवान कृष्ण की तरह सरल होना चाहिए, तलवार कठोर से कठोर चीज को काट देती है.  परंतु वही तलवार रुई को नहीं काट सकती. इसलिए हमें कोमल ह्रदय होना चाहिए. दीदी नर्मदेश्वरी ने एक प्रसंग के उल्लेख करते हुए कहा कि एक बार कुछ लोगों ने नदियों से सवाल किया कि हे नदी महाराज आप अपने साथ इतने बड़े-बड़े पेड़ क्यों बहा कर ले जा रही हैं. नदी देवता ने कहा कि ये पेड़ हमारे सामने अकड़ कर खड़े थे. इसलिए उनकी अकड़ निकालने के लिए बहाना पड़ा. छोटे-छोटे पौधे झुक कर हमें रास्ता दे देते हैं. इसलिए व्यक्ति को अकड़ कर नहीं रहना चाहिए. अकड़ कर रहने वाले का एक न एक दिन नाश होता है. झुक कर इंसानियत का परिचय देने वाले अपने जीवन में काफी उन्नति करते हैं. उन्होंने कहा कि व्यक्ति को सरल, कोमल होना चाहिए और जन कल्याणकारी कार्यों के लिए सतत प्रयत्नशील रहना चाहिए. महायज्ञ के सातवें दिन संध्या में वृंदावन से आए कलाकारों द्वारा कृष्ण पर आधारित रासलीला का भी आयोजन किया गया। यह भी पढ़ें : धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-bccl-workers-health-deteriorated-while-doing-duty-died-in-hospital/">धनबाद

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