अग्रसेन भवन चिरकुंडा में श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन रूक्मिणी विवाह प्रसंग पर हुई चर्चा
Maithon : चिरकुंडा के अग्रसेन भवन में निगानिया परिवार द्वारा आयोजित ज्ञान यज्ञ श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान कथा के छठें दिन शुक्रवार 22 सितंबर को कथावाचक गौरव कृष्ण पाठक महाराज ने कहा कि वर्तमान युग धर्म जागरण का है. धर्म प्रदर्शन के लिए नहीं, दर्शन के लिए होता है. धर्म समाज को चैतन्यता प्रदान करता है. धर्म में पाखंड नहीं, सेवा और परमार्थ का भाव होना चाहिए. भारतीय सनातन संस्कृति, परंपराओं और मर्यादाओं से जुड़ी है. परमात्मा के साथ प्रकृति भी पूजनीय है.
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गौरव कृष्ण पाठक महाराज ने कहा कि रुक्मिणी विवाह नारी के आत्मसम्मान की रक्षा और उसके प्रति मंगलभाव का सूचक है. भगवान अपने भक्तों पर कृपा की वर्षा करने में देर नहीं करते हैं. भागवत कथा के माध्यम से महारास एवं रुक्मिणी विवाह प्रसंगों की व्याख्या की गई. महाराज ने कहा कि दुनिया स्वार्थी है, लेकिन हमारे भगवान कृष्ण सारथी हैं, जो जीवन की अंतिम यात्रा तक हमारी गाड़ी को चलाते हैं. दुनिया को धन चाहिए, लेकिन भगवान को केवल मन ही चाहिए. दुनिया का स्वाद अंदर से बिगाड़ देता है, लेकिन भक्ति के स्वाद हमारे अंतर्मन को ही निर्मल और पवित्र बनाता है.
कथा को सफल बनाने में सुशील निगानिया, महेन्द्र निगानिया, संदीप निगानिया, अनील निगानिया, शंकर निगानिया, बिल्लू निगानिया, शंभु निगानिया, श्याम निगानिया, प्रवीण निगानिया, विनोद निगानिया, रवि निगानिया, मटरू निगानिया, अनीता निगानिया, मंजू निगानिया, मेघा निगानिया, अंशु निगानिया, आशा निगानिया, गीता निगानिया, संगीता निगानिया, पुष्पा निगानिया आदि का सराहनीय योगदान रहा.
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