भागवत कथा के सातवें दिन बताया निष्काम व निर्विकार प्रेम का महात्म्य
Maithon : चिरकुंडा तीन नंबर चढ़ाई स्थित श्रीश्री राम भरोसा धाम सार्वजनिक मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा व स्थापना की प्रथम वर्षगांठ पर श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन 1 जुलाई शनिवार को कथावाचक माधव महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण और रुक्मिणी दोनों निष्काम निर्विकार हैं. भागवत कथा के अंतिम दिन इस विवाह की कथा आती है. जिसे तक्षक नाग के दंश से मरना है, क्या वह लौकिक विवाह की बातें सुनेगा? योगी श्रेष्ठ परमहंस शुकदेव जी कथा कह रहे हैं. भाषा विवाह की है, जबकि तात्पर्य तो जीव के ईश्वर से मिलन का है. रुमिणी-कृष्ण का विवाह शुद्ध जीव और ईश्वर का विवाह है. यह प्रसंग लौकिक विवाह का नहीं बल्कि अध्यात्मिक मिलन का है. अलौकिक सिद्धांत को समझाने के लिए लौकिक शब्दावली का प्रयोग किया गया है, जो व्यक्ति ईश्वर के साथ विवाह करना चाहता है, उसके रिश्तेदार बहुत सताते हैं. रुक्मिणी भी भगवान से अपनी बहन के विवाह के विरोध में थी, किंतु यदि जीव सद्गुरु की शरण ले तो बेड़ा पार हो जाता है. यदि रुक्मिणी लौकिक सुख चाहती तो वहां उपस्थित अन्य किसी भी राजा के साथ ब्याह कर सकती थी. किंतु उसने बड़े विवेक से श्रीकृष्ण को वरण किया. जीव जब ईश्वर के साथ विवाहित होता है, तब कृतार्थ होता है. रुक्मिणी-श्री कृष्ण का विवाह जीव और ईश्वर का मिलन है. मौके पर श्री राम भरोसा धाम मंदिर के प्रधान पुजारी रामरतन पांडे, आचार्य अविनाश पांडे, एकानन्द पांडे, मनोज कुमार पांडे, सत्येंद्र पांडे, पुरुषोत्तम पांडे, शशि भूषण पांडे सहित भारी संख्या में चिरकुंडा के भक्त मौजूद थे. [wpse_comments_template]
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