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धनबाद : सदर अस्पताल के डॉक्टरों पर एमआर का दबदबा, लिख रहे बाहरी दवा

मरीजों से पहले ओपीडी के बाहर जमा देते हैं डेरा, प्रबंधन मौन

Dhanbad : सदर अस्पताल के डॉक्टरों पर इन दिनों एमआर ( मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ) का दबदबा कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है. कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए व्यग्र मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव सुबह मरीजों के पहले ही आ धमकते हैं और डॉक्टरों को नफा-नुकसान बता कर मनवांछित कंपनियों की दवा लिखने की गुजारिश करते हैं. इधर डॉक्टर भी बाहरी दवाएं लिख कर गरीब मरीजों की जेब कटने के लिए छोड़ देते हैं. ये एमआर ओपीडी के दौरान डॉक्टरों से मिलते हैं और अपनी अपनी कंपनियों की दवाइका प्रचार करते हैं. परिणाम गरीब मरीजों को झेलना पड़ता है. हालांकि अस्पताल प्रबंधन इस मामले में पूरी तरह मौन है. [caption id="attachment_706333" align="aligncenter" width="300"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/07/lal-ghera-1-300x200.jpg"

alt="" width="300" height="200" /> लाल घेरे में लगाए गए दवा होने के निशान[/caption] जिले में मॉनसून की शुरुआत के साथ मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. इलाज के लिए दूर दराज से लोग सदर अस्पताल पहुंच रहे हैं, ताकि वे महंगे इलाज से बच सकें. लेकिन ओपीडी में बैठे डॉक्टर अस्पताल में मौजूद दवाओं को छोड़ प्राइवेट कंपनी की दवाएं लिख रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि कुछ वर्ष पहले यहां एमआर नहीं के बराबर आते थे. तब डॉक्टरों के प्रिसक्रिप्शन पर बाहरी दवाएं न के बराबर होती थी. परंतु निजी कंपनियों के एमआर का आना जाना बढ़ा तो मरीजों के पर्चे पर बाहरी दवाओं की झड़ी लगती गई. सूत्रों का कहना है कि मरीजों के पुर्जे पर लिखी दवाओं में 60 से 70प्रतिशत बाहरी होती है. कमर दर्द की शिकायत लेकर कतरास से आई महिला ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल ओपीडी में गए पुर्जे पर लिखी दवाओं में मात्र दो दवा ही अस्पताल के मेडिकल स्टोर से मिली. इसके अलावा 3 दवाएं बाहर से खरीदनी पड़ी. उन्होंने बताया कि पुर्जा लिखते समय ही डॉक्टर साहब ने उन्हें आगाह कर दिया था कि 5 में से 2 दवा ही अस्पताल के मेडिकल में मिलेगी. शेष दवा आपको बाहर से लेनी होगी. डॉक्टर साहब पुर्जे पर अस्पताल में मिलने वाली दवा पर निशान भी दिल लगा देते हैं. अस्पताल कर्मचारियों का कहना है कि प्रबंधन की ओर से उन्हें सख्त हिदायत दी गई है कि ये ओपीडी के समय डॉक्टर से नहीं मिल सकते.   बावजूद सुबह होते ही मरीजों से पहले एमआर पहुंच जाते हैं. उन्हें कर्मचारियों के द्वारा बार मना भी किया जाता है, लेकिन वे नहीं मानते.

ओपीडी के समय एमआर पर है रोक: संजीव प्रसाद

अस्पताल के उपाधीक्षक संजीव प्रसाद का कहना है कि इस मामले को लेकर पहले ही अस्पताल के ओपीडी के समय एमआर पर रोक लगा दी गई है. साथ ही साथ ओपीडी के डॉक्टरों को भी जेनरिक दवाएं लिखने को कहा गया है. अगर वे निजी कंपनियों के बाहरी दवा लिख रहे हैं तो यह गंभीर मामला है. इस पर संज्ञान लूंगा. [wpse_comments_template]

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