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धनबाद : रफ़्तार का कहर, झेल रहा शहर, बेगुनाह लोगों के खून से लाल हो रही सड़क

बढ़ रहे हिट एंड रन मामले, हर महीने 10-15 लोग गंवा रहे जान, फिर भी रफ़्तार पर नही लग रहा लगाम
राममूर्ति पाठक Dhanbad : शहर में सड़कों पर दौड़ती पहियों की रफ़्तार अब बेलगाम हो गई हैं. आए दिन कहीं ना कहीं तेज़ रफ़्तार गाड़ियां हंसते खेलते परिवारों की खुशियों को रौंद कर सड़क को खून से लाल कर रही है. वहीं दूसरी तरफ़ गाड़ियों की रफ़्तार पर ब्रेक लगाने के लिए ट्रैफिक पुलिस व प्रशासन के पास कोई मशीनरी ही नहीं है. सड़क पर मौत बनकर दौड़ती रफ़्तार के आगे पूरा सिस्टम लाचार नज़र आ रहा है.

             हाल की दो बड़ी घटनाएं

केस 1 : शनिवार 15 जुलाई की रात करीब 10:45 बजे शहर के व्यस्तम बिग बाजार के पास तेज़ रफ़तार फॉर्च्यूनर कार JH-10 CL-0026 अनियंत्रित होकर पोल से टकरा गई. कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई. जबकि ड्राइवर गंभीर रूप से घायल है. बताया जाता है कि कार एक हिंदूवादी संगठन के नेता उदय प्रताप सिंह की थी, जिसे पेट्रोल पंप संचालक चंदन सिंह का बेटा चिरंजीवी चला रहा था. [caption id="attachment_703088" align="alignnone" width="300"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/07/CAR-SPEED-300x154.jpg"

alt="" width="300" height="154" /> शनिवार 15 जुलाई की रात पोल से टकराई कार[/caption] केस 2 : बीते माह 9 जून की रात धैया में दो फॉर्च्यूनर कार आपस में रेस कर रही थी. रफ़्तार की सनक में एक कार ने रात 11 से 12 के बीच डॉक्टर से अपने बच्चे को दिखाकर घर लौट रहे इंजीनियर दंपती को ज़ोरदार टक्कर मार दी. कार की रफ़्तार इतनी ज़्यादा थी कि मौके पर ही दोनो पति-पत्नी राणा दास और मानसी दास की मौत हो गई. जबकि बच्चे ऋषभ का इलाज दुर्गापुर के मिशन में अब तक ज़ारी है. थोड़ी देर बाद इस बात का खुलासा हुआ कि टक्कर मारने वाली फॉर्च्यूनर कार झरिया विधायक पूर्णिमा सिंह के देवर हर्ष का भाई आदर्श सिंह चला रहा था. लेकिन पुलिस अभी तक कार ड्राइवर को नही पकड़ पाई है.

              महीनों से खराब पड़े हैं स्पीडोमीटर

बाइक हो या फोर व्हीलर. गाड़ियों में मटरगश्ती करते रईशज़ादों, स्टंटबाज़ों और सड़क छाप मजनूओं की सनक और उनकी गाड़ियों की रफ्तार देखकर किसी की भी सांसे थम जाएंगी. बेलगमा रफ़्तार बोगुनाह लोगों की जानें ले रही है. दूसरी ओर गाड़ियों की स्पीड जांच के लिए ट्रैफिक पुलिस को जो स्पीडोमीटर मिले थे, वह भी काफी दिनों से खराब है. इंटरसेप्टर वाहन में लगे स्पीडोमीटर के जरिए पुलिस तेज़ रफ्तार में भागते वाहनों के पीछे चलती थी. फिर उस गाड़ी की गति सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड करती थी. इसके बाद जुर्माना वसूल किया जाता था. लेकिन पिछले तीन साल से रफ़्तार पर निगरानी बंद है. ट्रैफिक पुलिस सिर्फ और सिर्फ हेलमेट जांच कर चालान काट कर जिम्मेवारियों से पल्ला झाड़ रही है.

  साइन बोर्ड, जेब्रा क्रॉसिंग और रिफ्लेक्टर का अभाव

शहर में वाहनों की गति नियंत्रित करने के लिए साइन बोर्ड का अभाव है. मुख्य सड़क से जुड़नेवाली सड़कों पर जेब्रा क्रॉसिंग नहीं है. सड़कों पर रिफ्लेक्टर का अभाव है. लिहाज़ा रफ़्तार बेलगाम होकर हादसे को दावत दे रही है. शहर में प्रत्येक महीने सड़क दुर्घटना में 10-15 लोगों की मौत हो रही है. 20-25 लोग जख्मी हो रहे है. अधिकतर लोग जीटी रोड पर सड़क दुर्घटना के शिकार हो रहे है. यह">https://lagatar.in/dhanbad-late-shashikant-was-honest-dutiful-combative-and-fearless-mp-pn-singh/">यह

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