दृश्य में से दृष्टि को हटाकर द्रष्टा में स्थिर करो तो मिलेगा आनंद
Maithon : चिरकुंडा तीन नंबर चढ़ाई स्थित श्रीश्री राम भरोसा धाम सार्वजनिक मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा एवं स्थापना की प्रथम वर्षगांठ पर सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन 27 जून मंगलवार को वृंदावन से आये कथावाचक माधव जी महाराज ने कहा कि आनंद अविनाशी अंतर्यामी का स्वरूप है.
जगत के विषयों में जब तक मन फंसा हुआ है, तब तक आनंद नहीं मिल सकेगा. आनंद आत्मा का वैसा ही सहज स्वरूप है, जिस तरह जल का सहज गुण शीतलता है. आनंद आत्मा में ही है. यदि शरीर में आनंद होता तो उसमें प्राणों के निकल जाने के बाद भी लोग उसे संजोकर अपने पास रखते. आत्मा और परमात्मा का मिलन ही परमानंद है. भगवान में मन फंसे और डूबने लगे, तभी आनंद मिलता है. बार-बार अपने मन को समझाओ कि संसार के जड़ पदार्थों में सुख नहीं है. सोने पर सब भूल जाने से आनंद मिलता है.
सारे संसार को भूलने के बाद ही गाढ़ी नींद आती है. आत्मा तो नित्य शुद्ध और आनंद स्वरूप है. सुख-दुख तो मन का धर्म है. मन के निर्विषय होने पर आनंद मिलता है. दृश्य में से दृष्टि को हटाकर दृष्टा में स्थिर किया जाए तो आनंद मिलेगा. आनंद परमात्मा का स्वरुप है. आनंद का विरोधी शब्द नहीं मिलेगा. अज्ञानता के कारण जीव आनंद को ढूंढने के लिए बाहर जाता है. बाहर का आनंद लंबे समय तक नहीं टिक सकता.
भागवत कथा को सफल बनाने में मंदिर के प्रधान पुजारी रामरतन पांडे, आचार्य अविनाश कुमार पांडेय, एकानन्द पांडेय, मनोज कुमार पांडेय, सत्येंद्र कुमार पांडेय, पुरुषोत्तम पांडेय आदि का सराहनीय योगदान रहा.
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