Dhanbad : झमाडा के खिलाफ पिछले चार दिनों से धरना दे रहे आश्रितों से 25 फरवरी शुक्रवार को भी कोई अधिकारी अथवा प्रबंधन का प्रतिनिधि मिलने नहीं पहुंचा. हर आंदोलन पर आश्वासन का घूंट पिलानेवाले अधिकारी भी उदासीन बने रहे. इधर भीषण आंधी-पानी में भी धरना पर बैठे लोग डटे रहे. अपने परिजन को खो चुके आश्रित का दर्जा पा चुके ये लोग प्रबंधन से अनुकंपा पर मात्र एक नौकरी की गुहार लगा रहे हैं, जो उनका अधिकार भी है और प्रबंधन का पुनीत कर्तव्य भी. परंतु माडा प्रबंधन को शायद उनकी फिक्र नहीं है. पिछले दिन 24 फरवरी की शाम इन धरनार्थियों के लिए शामत बन कर आई. उनका तंबू बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. बिस्तर भी बुरी तरह भीग गया. पानी में भीगते और हवा के थपेड़ों से घायल धरनार्थियों की हिम्मत सिर्फ इसीलिए फौलाद की तरह कायम है, क्योंकि उनकी मांगें जायज हैं. उन्हें भरोसा है कि एक न एक दिन उनकी मांगें सुनी जाएगी और समस्या का समाधान भी निकलेगा. हालांक प्रबंधन की ओर से उनका हाल चाल तक पूछने के लिए किसी के नहीं फटकने पर धरनार्थी उदास दिखे. धरना पर बैठे शख्स अरविंद कुमार ने कहा कि भारी आंधी और बारिश में उनका टेंट क्षतिग्रस्त हो गया. पूरी रात उन्होंने और अन्य साथियों ने बैठ कर गुजारी. बावजूद प्रबंधन के किसी भी अधिकारी ने खैरियत तक पूछना मुनासिब ना समझा. उदासी के साथ उनका आक्रोश भी बढ़ रहा है, जबकि हौसला बुलंद है. उनका कहना है कि आंधी-बारिश आए या ओले गिरे, अब पीछे हटना मंजूर नहीं. जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, वे डटे रहेंगे. यह भी पढ़ें: धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-college-charging-arbitrary-fees-from-b-ed-students/">धनबाद
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धनबाद : भीषण आंधी-पानी में भी डटे रहे माडा के धरनार्थी

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