Dhanbad : धनबाद शहर के लोगों को इस बार भी गर्मी में जल संकट से राहत मिलने की दूर-दूर तक संभावना नहीं है. जलापूर्ति व्यवस्था में सुधार की कोई उम्मीद नहीं है. गर्मी शुरू होने के साथ ही कई इलाकों में पानी की समस्या शुरू भी हो गई है. वहीं दूसरी ओर मौसम का पारा चढ़ते ही निगम के अधिकारियों के सुर और ताल दोनों बिगड़ चुके हैं. नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार ने दो टूक कहा है कि जलापूर्ति से धनबाद नगर निगम का कोई लेना देना नही है. यह काम पेयजल और स्वच्छता विभाग (पीएचईडी) का है. जलापूर्ति से लेकर मेंटेनेंस तक का काम उसी को देखना है. यह आदेश नगर विकास एवं आवास विभाग ने दिया है. विभाग ने कहा है कि अभी शहर में पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी. निगम का काम पानी का कनेक्शन देना और यूजर चार्ज लेना है. यह चलता रहेगा.
वार्डों में टैंकर से पहुंचाया जाएगा पानी
नगर आयुक्त ने कहा कि फिलहाल, टैंकर के जरिए घरों तक 65 हजार लीटर पानी पहुंचाने की निगम की क्षमता है. 5 हजार लीटर क्षमता वाले एक और टैंकर का इंतजाम किया जा रहा है. शहर में गर्मी में जहां भी पानी की समस्या होगी, वहां टैंकर से पानी पहुंचाया जाएगा. वहीं, सभी वार्डों में चापानलों की मरम्मत का काम शुरू कर है. लोगों को फ़िलहाल निगम यही सुविधा दे सकता है.
जलापूर्ति की सेंट्रलाइज व्यवस्था का किया था दावा
करीब डेढ़ माह पहले निगम के पदाधिकारियों ने शहरी जलापूर्ति व्यवस्था को सेंट्रलाइज करने का दावा किया था. इसके तहत जलापूर्ति की कमान निगम को अपने हाथों में लेने की बात थी. साथ जल पर्षद का गठन कर घरों तक नियमित पानी पहुंचाने का भी दावा किया गया था. मैथन से अभी 40 एमएलडी पानी शहर को मिल रहा है, विभाग से 70 एमएलडी पानी देने का प्रस्ताव भेजा गया है. लेकिन गर्मी बढ़ते ही सब कुछ टांय-टांय फिस हो गया.
ऐसे समझें जलापूर्ति के पेंच
शहरी जलापूर्ति व्यवस्था में तीन विभाग शामिल हैं. इसमें नगर निगम के अलावा झमाडा और पीएचईडी जुड़ा है. झमाडा 100 साल पुरानी पाइपलाइन से आज भी जलापूर्ति कर रहा है. इसके चलते कोलियरी क्षेत्रों में अक्सर पानी की समस्या बनी रहती है. निगम भी पानी का आधा काम ही संभालता है. वहीं, पीएचईडी पर आरोप लगता है कि शहर का पानी वह कोक प्लांट, व्यावसायिक प्रतिष्ठान और ग्रामीण क्षेत्रों में भेज देता है. पिछले 6-7 वर्षों से शहर के लोगों को एक वक्त भी पानी मुश्किल से मिल पाता है.
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