Dhanbad : स्वास्थ्य,सुख और शांति का संगम है विहंगम योग. सेवा,सत्संग और साधना की त्रिवेणी है विहंगम योग. विहंगम योग का ध्यान आंतरिक शांति का मार्ग प्रशस्त करता है. उपरोक्त बातें स्वर्वेद कथामृत के प्रवर्तक संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज ने 24 मार्च को न्यू टाउन हॉल धनबाद में आयोजित विहंगम योग समारोह में कही. महाराज जी ने कहा कि मन पर नियंत्रण न होने से ही समाज में तमाम विसंगतियां फैली हैं. संत प्रवर श्री ने कहा कि मानव के मन में अशांति है और जब तक यह अशांति है तब तक विश्व में शांति की कल्पना नहीं की जा सकती. मन की अशांति को विहंगम योग की ध्यान साधना से दूर किया जा सकता है. इस अवसर पर भक्तों को संबोधित करते हुए सद्गुरु आचार्य स्वतंत्र देव जी महाराज ने कहा कि आत्मोद्धार का सर्वश्रेष्ठ साधन है भक्ति. लेकिन आज की भक्ति अज्ञान, आडम्बरयुक्त जड़ भक्ति है. जड़ भक्ति से ऊपर उठकर भक्ति के चेतन पथ पर अग्रसर होने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि जैसे कमल का पत्ता जल से ही उत्त्पन होता है और जल में ही रहता है, पर वह जल से लिप्त नहीं होता. ऐसे ही एक विहंगम योगी संसार में रहते हुए संसार के कार्यों को करते हुए भी इससे निर्लिप्त रहता है. इसके पूर्व धनबाद संत समाज द्वारा दोपहर 12 बजे पूज्य संत प्रवर विज्ञान देव जी महाराज एवं सद्गुरु आचार्य स्वतंत्र देव जी महाराज का भव्य स्वागत कर विहंगम शोभायात्रा निकाली गई. गई.कार्यक्रम का समापन वंदना आरती एवं शांतिपाठ के साथ किया गया. इस मौके पर विहंगम योग संत समाज के गणमान्य लोग भारी संख्या में मौजूद थे. यह भी पढ़ें : जामताड़ा">https://lagatar.in/jamtara-bihar-stf-busted-illegal-gun-factory-three-arrested/">जामताड़ा
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धनबाद : स्वास्थ्य,सुख और शांति का संगम है विहंगम योग

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