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धनबाद : कौन कुंडली मार कर बैठा है डेडिकेटेड रोड निर्माण के प्रस्ताव पर

Nirsa :  हाइवा से दब कर या कुचल कर मृतकों की सूची लंबी होती जा रही है. अनियंत्रित वाहन गाहे बगाहे कभी किसी बाइक को ठोकर मारते हैं तो कभी चारपहिया गाड़ियों को धक्का देते हैं तो कभी पैदल चल रहे लोगों को भी यमलोक पहुंचा देते हैं. रोड जाम होता है. तोड़फोड़ होती है, उत्तेजित लोगों को प्रशासन समझा-बुझाकर और पीड़ित परिजनों को कुछ मुआवजा देकर शांति बहाल करता है. परंतु कुछ दिन या माह के बाद फिर वही सब कुछ भुगतने के लिए लोग विवश हैं. एमपीएल प्रबंधन को अपने वाहनों के परिचालन के लिए अलग से सड़क बनाना है. वर्तमान समय में सभी जनप्रतिनिधि, हाइवा मालिक एवं आम लोग ऐसी मांग कर भी रहे हैं.

प्रस्ताव पर जनप्रतिनिधि, हाइवा मालिक उदासीन क्यों

इधर वास्तविकता यह है कि वर्ष 2015 में जनप्रतिनिधियों एवं हाइवा मालिकों को ऐसा मौका हाथ आय़ा था, जब वे सक्रिय भूमिका निभा कर  वाहनों के परिचालन को सुव्यवस्थित कर सकते थे. तब आम जनता के आवागमन के लिए अलग से सड़क भी बन जाती और कई लोग अकारण काल के गाल में नहीं समाते. एमपीएल प्रबंधन ने 7 मई 2015 को ही तत्कालीन उपायुक्त एवं परिवहन विभाग के सेक्रेटरी को पत्र लिखकर डेडिकेटेड रोड बनाने का प्रस्ताव भेजा था. सिंदरी कॉलोनी मोड़ से एमपीएल प्लांट तक डेडिकेटेड रोड बनाने में एमपीएल प्रबंधन हर सहयोग के लिए तैयार था. परंतु तत्कालीन जनप्रतिनिधियों एवं हाइवा मालिकों ने इस दिशा में सक्रिय भूमिका नहीं निभाई. हालत यह है कि डेडिकेटेड रोड का प्रस्ताव यूं ही फाइलों में धूल फांक रहा है.

   एमपीएल के प्रस्ताव को धरातल पर उतारना जरूरी

मई 2015 में भी सड़क दुर्घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. क्रुद्ध लोगों ने एमपीएल की कोयला एवं छाई ट्रांसपोर्टंग बंद कर दी थी. इसके पहले भी कई सड़क दुर्घटनाओं में जान-माल की क्षति लोग भुगत चुके हैं. आम जनों एवं जनप्रतिनिधियों के दबाव पर एमपीएल प्रबंधन ने उपायुक्त एवं राज्य सरकार को अलग से सड़क बनाने का प्रस्ताव भेजा था. तत्कालीन उपायुक्त ने इस दिशा में प्रयास भी किया था. परंतु उनके स्थानांतरण के साथ ही प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया. बाद में स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं आम जनों ने भी इस दिशा में ठोस पहल नहीं की.  जब भी सड़क दुर्घटना होती है तो  एमपीएल प्रबंधन पर अलग सड़क बनाने की का दबाव बनाया जाता है. कुछ दिन लोग पुराने ढर्रे पर चलने लगते हैं. जनप्रतिनिधि एवं एमपीएल प्रबंधन उस प्रस्ताव को कार्यान्वित कराने के लिए कमर कस लें तो समस्या का अंत हो सकता है. राज्य सरकार सड़क का निर्माण कर उसे संबंधित कंपनी को हैंड ओवर कर देगी तो उसके रखरखाव की सभी जिम्मेवारी उसी कंपनी की होगी. यह भी पढ़ें : धनबाद">https://lagatar.in/dhanbad-drda-director-increased-the-problems-of-electricity-workers/">धनबाद

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