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धनबाद : मजदूरों ने अपने मसीहा ‘राय दा’ को किया याद

मासस कार्यालय सहित शहर के कई इलाकों में मनाई गई एके राय की चौथी पुण्यतिथि
Dhanbad : तीन बार धनबाद के सांसद व सिंदरी के विधायक रहे मजदूरों के मसीहा कॉमरेड एके राय की चौथी पुण्यतिथि शुक्रवार 21 जुलाई को मनाई गई. पूरे जिला में मजदूरों ने अपनी तरह से अपने मसीहा को याद किया. जगह-जगह श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई. उनकी सादगी, समर्पण के साथ-साथ मजदूर व शोषित तबके के लिए उनके संघर्षों को याद किया गया.

     मासस के केंद्रीय कार्यालय में विचार गोष्ठी का किया आयोजन

मार्क्सवादी समन्वय समिति और मार्क्सवादी युवा मोर्चा ने धनबाद स्थित मासस के केंद्रीय कार्यालय में कॉमरेड एके राय की पुण्यतिथि पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया. सबसे पहले कॉमरेड एके राय की तस्वीर पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी गई. कार्यक्रम में केंद्रीय महासचिव हलधर महतो, केंद्रीय सचिव हरि प्रसाद पप्पू, ज्ञान विज्ञान समिति के महासचिव प्रो.काशी नाथ चटर्जी और प्रो.डीके सेन विशेष रूप से मौजूद थे. [caption id="attachment_706405" align="alignnone" width="300"]https://lagatar.in/wp-content/uploads/2023/07/GANDHI-SEWA-SADAN-300x174.jpg"

alt="" width="300" height="174" /> गांधी सेवा सदन बांग्ला भाषा उन्नयन समिति ने दी श्रद्धांजलि[/caption] धनवाद के गांधी सेवा सदन में बांग्ला भाषा उन्नयन समिति ने भी एके राय की पुण्यतिथि मनाई. कार्यक्रम में बेंगू ठाकुर, हराधन रजवार, टोनी बनर्जी, सोमनाथ चौधरी, कल्याण भट्टाचार्य, सुशोभन चक्रवर्ती, कल्याणराय, समीर मंडल, सपन चटर्जी, अभिनाय बनर्जी, राजू प्रमाणिक, अनिल कुमार सहित दर्जनों लोगों ने कॉमरेड एके राय को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी.

      तीन बार धनबाद के सांसद व सिंदरी के विधायक रहे राय दा

एके राय का पूरा नाम अरुण कुमार राय है. वे इंजीनियर की नौकरी छोड़कर वामपंथी विचारधारा से प्रभावित होकर किसान संग्राम समिति व मार्क्सवादी समन्वय समिति का गठन किया. वर्ष 1977, 1980 व 1989 में धनबाद के सांसद रहे. वर्ष 1967, 1969 व  1972 में तीन बार सिंदरी के विधायक भी बने. राजनीति के संत कहे जाने वाले राय दा ने सांसद बनने के बाद भी कभी पेंशन नहीं ली. उनके पास न कोई बैंक बैलेंस, न अपना मकान न ही गाड़ी थी. मासस का कार्यालय ही इनका बसेरा था.

              जेपी आंदोलन में लिया था हिस्सा

झामुमो के गठन के समय शिबू सोरेन, बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर आंदोलन किया. जेपी आंदोलन में भी उन्होंने हिस्सा लिया था. झारखंड और लालखंड, योजना और क्रांति इनकी पुस्तक है. अंग्रेजी में बिरसा से लेनिन और दलित क्रांति के अलावा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कई आलेख भी लिखे. यह">https://lagatar.in/dhanbad-delegation-of-goods-warehouse-workers-union-met-senior-dcm/">यह

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