मुख्य अतिथि डॉ किशोर श्रीनिवासन ने रखरखाव, व्यवसायीकरण सहित गिनाए कई फायदे
Dhanbad : सीएसआईआर-सिंफर ऑडिटोरियम में 31 जुलाई को बौद्धिक संपदा प्रबंधन-सृजन, संरक्षण एवं वाणिज्यीकरण विषय पर कार्यशाला में मुख्य अतिथि सीएसआईआर-यूआरडीआईपी पुणे के प्रमुख डॉ किशोर श्रीनिवासन ने बौद्धिक संपदा के रखरखाव, व्यवसायीकरण, रणनीति महत्व, इस्तेमाल व फायदे आदि के बारे में बताया. सिंफर के वैज्ञानिक सुजन साहा ने कहा कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश भर में राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा महोत्सव 1 से 31 जुलाई तक मनाया गया. उसी के तहत इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है. बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) पर केंद्रित इस कार्यशाला में भौगोलिक उपदर्शन (जीआई), ट्रेडमार्क, कॉपीराइट, पंजीकरण, डिजाइन समेत आईपीआर के अन्य पहलुओं के बारे में जानकारी दी गई. कार्य़शाला में वैज्ञानिकों, विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं एवं अन्य हितधारकों ने हिस्सा लिया. तीन सत्र में विभाजित कार्यशाला की शुरुआत सुबह 9.30 बजे दीप प्रज्ज्लित कर हुई. स्वागत भाषण सीएसआईआर-सिंफर के निदेशक प्रो. अरविंद कुमार मिश्रा ने दिया. सिंफर के वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार बनर्जी ने कार्यशाला के उद्देश्य पर प्रकाश डाला. सिंफर के ही वैज्ञानिक जेके सिंह ने मुख्य अतिथि डॉ. किशोर श्रीनिवासन का परिचय कराया. दूसरे सत्र में सीएसआईआर-आईपीयू नई दिल्ली के डॉ. योगेश ढ़ोबले ने पेंटेट दाखिल करने एवं कार्यनीतियों के बारे में बताया. सीएसआईआर-यूआरडीआईपी पुणे की डॉ. शिवकामी ढुलप ने पेटेंट एवं उससे संबंधित कार्य के बारे में बताया. दोपहर 1.30 बजे के सत्र में कोलकाता के वरिष्ठ परीक्षक डॉ. वीरेंद्र सिंह ने ट्रेड मार्क्स एवं जीआई, ट्रेड मार्क्स रजिस्ट्री की जानकारी दी. राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम नई दिल्ली के वरिष्ठ प्रबंधक डॉ. संजीव कुमार मजूमदार ने एनआरडीसी की प्रौद्योगिकी वाणिज्यीकरण में भूमिका एवं रणनीति के बारे में बताया. [wpse_comments_template]
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