शुभंकर प्रत्युष पाठक ने पहले ही प्रयास में लाई 11वीं रैंक
आईआईटी आईएसएम धनबाद के वर्ष 2020 बैच के छात्र शुभंकर प्रत्युष पाठक ने यूपीएससी परीक्षा में पहले ही प्रयास में ऑल इंडिया रैंक 11वीं लाकर शानदार सफलता हासिल की है. शुभंकर की सफलता की कहानी काफी रोचक है. आईआईटी आईएसएम धनबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद उनका कैंपस सलेक्शन अमेरिका की कंपनी सिस्को डेवलपर में सालाना 42 लाख रुपए के पैकेज पर हुआ. उन्होंने कंपनी के बेंगलुरू ब्रांच में बतौर सॉफ्वेयर डेवलपर काम शुरू किया. लेकिन उनकी चाहत आईएएस बनने की थी. सो, फरवरी 2021 में उन्होंने यह नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी और पहले ही प्रयास में बेहतर रैंक के साथ परीक्षा पास की. मूलरूप से बिहार के मोतिहारी के रहने वाले शुभंकर प्रत्युष के पिता राजेश कुमार पाठक 1995 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. वे फिलहाल भारत सरकार के टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड के सचिव पद पर कार्यरत हैं.मुरली नगर के डॉ. आकाश सिन्हा को मिली 258वीं रैंक
[caption id="attachment_321610" align="aligncenter" width="281"]alt="" width="281" height="300" /> डॉ. आकाश सिन्हा[/caption] धनबाद के मुरली नगर निवासी डॉ. आकाश सिन्हा ने UPSC परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की है. दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्र रहे डॉ. आकाश को UPSC में ऑल इंडिया 258वीं रैंक हासिल हुई है. उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री कोलकाता के मेडिकल कॉलेज से ली थी. इसके बाद UPSC की तैयारी करने दिल्ली चले गए. फिलहाल वह दिल्ली में ही हैं. तीन बहन और दो भाइयों में आकाश सबसे छोटे हैं. उनकी बड़ी बहन विनीता सिन्हा वर्ष 2010 में यूपीएससी परीक्षा में सफल होकर आईएएस अधिकारी हैं. दूसरी बड़ी बहन अमृता सिन्हा ने वर्ष 2015 में यूपीएससी क्रैक किया और आईपीएस अधिकारी पद पर कार्यरत हैं. तीसरी बहन डॉ. सुनीता सिन्हा धनबाद में डेंटिस्ट हैं, जबकि बड़े भाई डॉ. अविनाश सिन्हा एसएनएमएमसीएच धनबाद में ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं. पिता स्वर्गीय ओमप्रकाश सिन्हा बीसीसीएल में सीनियर फाइनेंस ऑफिसर थे. डॉ. आकाश सिन्हा मूल रूप से बिहर के जमुई के रहनेवाले हैं.
बीआईटी सिंदरी के सुमित को 263वीं रैंक, पिता हैं ड्राइवर
बीआईटी सिंदरी से वर्ष 2018 में कंप्यूटर साइंस से पासआउट छात्र सुमित कुमार ठाकुर ने यूपीएससी परीक्षा 263वीं रैंक से क्रैक की है. उन्हें तीसरे प्रयास में सफलता मिली है. इनका परिवार जमशेदपुर में रहता है. पिता विजय कुमार ठाकुर वाहन चालक हैं. वे जमशेदपुर में ही स्कूल वैन चलाते हैं, जबकि मां गृहिणी हैं. कंप्यूटर साइंस के बीटेक की डिग्री लेने के बाद सुमित ने खुद की स्टार्टअप कंपनी खोल ली और उसे आगे बढ़ा रहे हैं. सुमित पहले प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में इंटरव्यू में तीन अंक से पीछे रह गए थे, जबकि दूसरे प्रयास में यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा में ही असफल हो गए थे. इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरे प्रयास में शानदार सफलता हासिल कर उदारण प्रस्तुत किया है. लॉकडाउन में स्कूल वैन बंद हो जाने के कारण घर की माली हालत काफी खराब हो गई थी. तब सुमित को घर की जिम्मेदारी भी संभालनी पड़ी. तमाम परेशानियों के बावजूद यूपीएससी की तैयारी जारी रखी.रचित को छोड़नी पड़ी नौकरी,चौथे प्रयास में 286वीं रैंक
आईआईटी आईएसएम धनबाद के छात्र रचित कुमार गुप्ता को चौथे प्रयास में यूपीएससी क्रैक किया है. उन्हें परीक्षा में 286वीं रैंक मिली है. रचित ने वर्ष 2016 में माइनिंग इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री ली. इसके बाद चार वर्षों तक प्राइवेट कोचिंग में नौकरी की. इस दौरान उन्होंने तीन बार यूपीएससी की परीक्षा भी दी, लेकिन असफल रहे. लॉकडाउन के समय उन्होंने महसूस किया कि नौकरी के चलते यूपीएससी की तैयारी ठीक से नहीं हो पा रही है. इसलिए नौकरी छोड़ दी और पूरी लगन से परीक्षा की तैयारी में लग गए. पुरानी गलतियों को सुधारने पर ज्यादा दिया और चौथे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 286वीं रैंक लाकर सबको चौंका दिया. इनके छोटे और बड़े भाई इंजीनियर हैं. रचित ने बताया कि घर पर परीक्षा की तैयारी के समय दादाजी अक्सर मोटिवेट करते थे. इससे उनका आत्मबल मजबूत हुआ और सफलता मिली.नाजिश ने पहले प्रयास में यूपीएससी क्रैक किया, 344वीं रैंक
[caption id="attachment_321611" align="aligncenter" width="225"]alt="" width="225" height="300" /> नाजिश उमर अंसारी[/caption] यूपीएससी-2021 परीक्षा में कतरास के छाताबाद निवासी मो. उमर शहीद अंसारी के पुत्र मो. नाजिश उमर अंसारी ने 344वीं रैंक के साथ शानदार सफलता हासिल की है. उन्होंने पहले ही प्रयास में यूपीएससी क्रैक किया है. फिलहाल, वे गुड़गांव की एक कंपनी में सिविल इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं. नाजिश उमर ने डीएवी टाटा सिजुआ से 10वीं व 12वीं की पढ़ाई के बाद आईआईटी दिल्ली से बी-टेक की डिग्री ली है. यूपीएससी का रिजल्ट आने के बाद से उनके छाताबाद स्थित घर में जश्न का माहौल है. पिता मो. उमर शहीद अंसारी टाटा कंपनी (कोलियरी डिवीजन) में कर्मचारी के पद से हाल में ही रिटायर हुए हैं. उन्होंने बताया कि नाजिश बचपन से मेधावी था. वर्ष 2015 में डीएवी टाटा सिजुआ से रिकॉर्ड 96 प्रतिशत अंकों के 12वीं की परीक्षा पास की थी. उन्होंने बताया कि नाजिश की सफलता में मां शगुफ्ता परवीन का बड़ा योगदान है. वह बेटे का बराबर हौसला बढ़ाती थीं. उमर शहीद की कामना है कि बेटा जिस विभाग में जाए ईमानदारी से देश की सेवा में हाथ बंटाए. यह भी पढ़ें : धनबाद">https://lagatar.in/wp-admin/post.php?post=321147&action=edit">धनबाद
: एसएनएमएमसीएच में हर साल 500 बच्चों की मौत ! [wpse_comments_template]

Leave a Comment