LagatarDesk : पिछले पांच सालों में अच्छे प्रदर्शन के बाद भी वर्ष 2022 तक रिन्यूअल एनर्जी स्रोतों से 1.75 लाख मेगावाट बिजली बनाने का सरकार का लक्ष्य हासिल होता नहीं दिख रहा है. सरकार को अगर यह लक्ष्य हासिल करना है, तो देश के बिजली उत्पादन में रिन्यूअल एनर्जी स्त्रोतों से पैदा होने वाली बिजली की हिस्सेदारी मौजूदा 10 फीसदी से बढ़ा कर 16 से 18 फीसदी करना होगा. यह बात प्रमुख रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत के ऊर्जा क्षेत्र पर जारी अपनी रिपोर्ट में कही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 और 2020 में भी रिन्यूअल एनर्जी का निर्धारित लक्ष्य हासिल नहीं किया गया था.
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रिन्यूअल एनर्जी में सलाना 20 फीसदी का हुआ इजाफा
मूडीज की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षो के दौरान लक्ष्य हासिल नहीं किया गया. इसके अलावा अगर पिछले पांच वर्षो की बात करें, तो सौर और पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता में सालाना 20 फीसदी का इजाफा हुआ है. हालांकि इस रफ्तार से भी 1.75 लाख मेगावाट क्षमता का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल है.
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20 फीसदी परियोजनाएं बिजली उत्पवन्न करने में असफल
मूडीज ने यह आकलन 11,462 मेगावाट क्षमता की 176 परियोजनाओं का निरीक्षण करने के बाद किया है. पिछले दो सालों में 20 फीसदी परियोजनाएं ऐसी हैं, जो क्षमता के मुताबिक बिजली उत्पन्न नहीं कर पा रही है. इसकी वजह से कंपनियों के मुनाफे में भी पांच फीसदी तक की कमी आयी है.
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सात सोत्तों से बिजली उत्पादन क्षमता 92,550.74 मेगावाट
केंद्र सरकार के आंकड़ों की बात करें तो 31 जनवरी 2021 तक सात माध्यमों से देश की बिजली उत्पादन क्षमता 92,550.74 मेगावाट थी. इसमें पवन ऊर्जा से 38,683.65 मेगावाट है, जबकि सौर ऊर्जा की क्षमता 34,561.33 मेगावाट है. छतों पर लगे सोलर पैनल से 4,234 मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता है. छोटे हाइड्रो पावर से 4,758 मेगावाट और बायोमास से बिजली उत्पादन क्षमता 9,374 मेगावाट है.
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कोरोना के कारण बिजली की मांग हुई प्रभावित
जानकारों का मानना है कि देश में परंपरागत ऊर्जा क्षमता मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है. कोरोना के कारण छह से आछ महीनों तक देश में बिजली की मांग प्रभावित हुई है. जिसका असर गैरपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों से जुड़ी बिजली परियोजनाओं पर पड़ा है.
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