झारखंड में शिक्षा विभाग क्लास,सब्जेक्ट और चैप्टर के आधार पर तैयार कर रहा है डिजिटल कंटेंट
Ranchi: कोरोना महामारी थमने का नाम नहीं ले रही है. संक्रमण से बचने के लिए लोग खुद को घरों में कैद रखने को मजबूर हैं. ऑफिस कल्चर को छोड़,वर्क फ्रॉम होम कल्चर अपना लिया है. डिजिटल सपोर्ट से सारा काम हो रहा है. पिछले एक साल स्कूल बंद हैं. बच्चे पिछले साल से ही डिजिटल एप्प के माध्यम से पढ़ाई कर रहे हैं. एक बार फिर से झारखंड के शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बच्चों को डिजिटल कंटेंट उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है. बच्चों को डिजिटल कंटेंट पहुंचाने की तैयारी चल रही है. शिक्षा विभाग सिलेबस में पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी 40 प्रतिशत कटौती कर सकता है.
वाट्सअप ग्रुप किया जा रहा तैयार
शिक्षा विभाग क्लास,सब्जेक्ट और चैप्टर के आधार पर डिजिटल कंटेंट तैयार कर रहा है. पहले चरण में व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से अधिक से अधिक बच्चों तक डिजिटल कंटेंट को पहुंचाया जाएगा. व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए बच्चों या फिर उनके अभिभावकों के पास कंटेंट भेजे कंटेंट भेजे जाएंगे. जिसके सहयोग से बच्चे अभ्यास कर सकेंगे. बच्चों को ऑडियो और वीडियो के माध्यम से भी गणित समेत अन्य विषयों की जानकारी दी जाएगी. इसके लिए जिला प्रखंड स्कूलों के शिक्षक और क्लासवार बच्चों का व्हाट्सएप ग्रुप तैयार किया जा रहा है.
बनेगा मंथली कैलेंडर
डिजिटल कंटेंट के बाद जारी होगा मंथली कैलेंडर: डिलिटल कंटेंट बच्चों को बोझिल न लगे,इसके लिए मंथली कैलेंडर तैयार किया जा रहा है. कैलेंडर के सहयोग से बच्चे हर माह निर्धारित पढ़ाई कर सकेंगे. स्कूल बंद रहने पर हर महीने कितना चैप्टर पढ़ लेना है. इसकी जानकारी बच्चों को पहले से रहेगी. मंथली कैलेंडर के सहयोग से ही बच्चों को कोर्स कंप्लीट कराया जा सकेगा.
किताब पहुंचाने के लिए गाइडलाइन जारी
डिजिटल कंटेंट के साथ बच्चों को किताबें मिल सके,इसके लिए निर्देश जारी किया जा चुका है. बच्चों को जल्द किताबें मिलें,इसके लिए स्कूल तक किताब पहुंचाने की व्यवस्था की गई है. अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक बच्चों तक किताबें पहुंचा दी जाएंगी.
कोरोना महामारी के प्रथम चरण में जब स्कूल बंद थे,तभी राज्य सरकार ने अप्रैल 2020 के पहले सप्ताह से ही डिजिटल कंटेंट बच्चों को उपलब्ध कराना शुरू किया था. इस दौरान 30 फीसदी बच्चों तक ही डिजिटल कंटेंट पहुंच पा रहे थे. करीब 46 लाख बच्चों में से 15 लाख बच्चों तक ही डिजिटल कंटेंट नियमित पहुंचाया जा रहा था. इस बार जो बच्चे ऑनलाइन नहीं जुड़ सकेंगे. उन्हें दूसरे माध्यमों से पढ़ाने की भी तैयारी चल रही है.