Indore : मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह को एक साल के जेल की सजा मिली है. मध्य प्रदेश के इंदौर की एक विशेष अदालत ने यह सजा सुनाई है. खबरों के अनुसार वर्ष 2011 में उज्जैन में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) के प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं से भिड़ंत के मामले में विशेष अदालत ने दिग्विजय सहित छह लोगों को शनिवार को एक-एक साल के सश्रम कारावास की सजा दी है.
11 वर्ष पुराने प्रकरण में जिसमें मेरा नाम FIR में भी नहीं था राजनीतिक दबाव में बाद में जोड़ा गया, मुझे सज़ा दी गई।
मैं अहिंसा वादी व्यक्ति हूँ हिंसक गतिविधियों का सदैव विरोध करता रहा हूँ।
१/२— digvijaya singh (@digvijaya_28) March 26, 2022
छह दोषियों पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना
साथ ही अदालत ने सभी छह दोषियों पर पांच-पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. हालांकि दिग्विजय ने इसे झूठा मामला बताते कहा है कि वे हाई कोर्ट में अपील करेंगे. अदालत ने मामले के तीन अन्य आरोपियों- उज्जैन जिले के तराना क्षेत्र के कांग्रेस विधायक महेश परमार, मुकेश भाटी और हेमंत चौहान को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. बाद में विशेष न्यायाधीश ने दिग्विजय समेत सभी छह दोषियों की अपील पर उनकी सजा पर फौरी रोक लगा दी और उन्हें 25,000-25,000 रुपये की जमानत पर रिहा कर दिया.
बता दें कि विशेष न्यायाधीश मुकेश नाथ ने दिग्विजय और उज्जैन के पूर्व लोकसभा सांसद प्रेमचंद गुड्डू को भारतीय आईपीसी की धारा 325 (जान-बूझकर गंभीर चोट पहुंचाना) और धारा 109 (दूसरे लोगों को मारपीट के लिए उकसाना) के तहत दोषी ठहराया है. चार अन्य व्यक्तियों-अनंत नारायण, जय सिंह दरबार, असलम लाला और दिलीप चौधरी को धारा 325 के तहत दोषी करार दिया गया.
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दिग्विजय सिंह ने दर्ज प्राथमिकी को झूठा करार दिया
जमानत पर रिहा होने के बाद दिग्विजय ने संवाददाताओं से कहा कि कि वह विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे. उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को झूठा करार देते हुए कहा कि वे अहिंसावादी हैं और हिंसक गतिविधियों का सदैव विरोध करते रहे हैं.
दिग्विजय ने कहा, 11 साल बाद उन्हें ऐसे मामले में सजा दी गयी. कहा कि मूल प्राथमिकी में आरोपी के रूप में उनका नाम ही नहीं था. बाद में राजनीतिक दबाव के कारण उनका नाम जोड़ा गया. उन्होंने कहा कि वे ना भाजपा संघ से कभी डरे हैं, ना ही डरेंगे. चाहे कितने ही झूठे प्रकरण बना दें और कितनी ही सज़ा दे दी जाये.
भाजयुमो कार्यकर्ता रितेश खाबिया को पीटने के आरोप में सजा
दिग्विजय के वकील राहुल शर्मा ने बताया कि उनके मुवक्किलों को भाजयुमो कार्यकर्ता रितेश खाबिया को पीटने के लिए अन्य लोगों को उकसाने के आरोप में सजा सुनाई गयी है. बचाव पक्ष के वकील ने दावा किया कि दस्तावेजों में खाबिया के दाएं हाथ में चोट लगने की बात कही गयी है, जबकि असल में उसके बाएं हाथ की हड्डी टूटी थी.
पुलिस के अनुसार भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने दिग्विजय के अलग-अलग विवादित बयानों पर विरोध जाहिर करते हुए उन्हें 17 जुलाई 2011 को उस समय काले झंडे दिखाने की कोशिश की थी, जब उनका काफिला उज्जैन के जीवाजीगंज क्षेत्र से गुजर रहा था. विरोध-प्रदर्शन के दौरान दिग्विजय सहित अन्य लोगों की भाजयुमो कार्यकर्ताओं से झड़प हुई थी.
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