जुलूस की शक्ल में प्रशासनिक भवन पहुंचे, धरने पर बैठे
Maithon: दामोदर वैली वस्तुहारा संग्राम समिति के बैनर तले विस्थापितों ने “करो या मरो” एवं “जमीन हमारा, राज तुम्हारा नहीं चलेगा” के नारों के साथ सोमवार को डीवीसी प्रशासनिक भवन के समक्ष जोरदार धरना-प्रदर्शन किया. आंदोलन के दौरान डीवीसी प्रबंधन और समिति के प्रतिनिधिमंडल के बीच हुई सकारात्मक वार्ता के बाद विस्थापितों ने एक माह के लिए आंदोलन स्थगित कर दिया. डीवीसी प्रबंधन ने समझौता वार्ता में लिखित आश्वासन दिया कि समिति की मुआवजा राशि बढ़ाने सहित अन्य मांगों को निर्णय लेकर एक माह के अंदर लागू कर दिया जाएगा. विस्थापितों ने प्रबंधन को मांगें पूरी करने के लिए एक माह का समय दिया. फिलहाल आंदोलन को स्थगित करने की घोषणा की. इससे पहले विस्थापितों ने मैथन डाइक एरिया से सुबह सात बजे समिति के अध्यक्ष वासूदेव महतो के नेतृत्व में जुलूस की शक्ल में नारे लगाते हुए डीवीसी प्रशासनिक भवन पहुंचे और जोरदार प्रदर्शन किया, इसके बाद धरना पर बैठ गए. मौके पर वासूदेव महतो ने कहा कि डीवीसी मैथन में विस्थापितों का आंदोलन 1968 में शुरू किया गया था.
विस्थापितों का एक पैनल बनाया गया
लगातार दस वर्षों तक आंदोलन चलने के बाद डीवीसी प्रबंधन द्वारा 1978 में विस्थापितों का एक पैनल बनाया गया. लेकिन विडंबना है कि आजतक पैनल में शामिल विस्थापितों को न नौकरी मिली और न ही मुआवजा मिला, जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि डीवीसी को विस्थापितों को नियोजन देें. मसमिति के अध्यक्ष वासूदेव महतो ने कहा कि आज जिसकी जमीन पर डीवीसी का निर्माण हुआ, वह दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हैं. पिछले 45 वर्षों से विस्थापितों द्वारा अपने हक और अधिकार के लिए आंदोलन किया जाता रहा है, लेकिन डीवीसी प्रबंधन झूठा आश्वासन देकर विस्थापितों को हमेशा छलने का काम करते आया है. कहा कि इस बार डीवीसी को अंतिम मौका दिया गया है कि वह विस्थापितों के साथ न्याय करें और हमारी मांगें पूरी करें. वार्ता में डीवीसी के वरीय महाप्रबंधक (एचआर) संजीव श्रीवास्तव, प्रबंधक (एचआर) पार्थसारथी मुखर्जी और विस्थापितों की ओर से वासूदेव महतो, सुरेन्द्रनाथ मुर्मू, बादल मराण्डी, प्रवीर भंडारी, रविशंकर सेन, छोटेलाल हेम्ब्रम, नागेन्द्र हेम्ब्रम शामिल थे.
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