- ग्राम पंचायतें पहले ही विरोध करने की कर चुकी है घोषणा
- विस्थापितों का आरोप - मौलिक सुविधाओं से रखा गया वंचित
Piparwar : सीसीएल की महात्वकांक्षी पिपरवार भूमिगत खदान परियोजना का रैयत विस्थापित भी विरोध करेंगे. ग्राम पंचायतें पहले ही इसके विरोध की घोषणा कर दी है. सोमवार को विस्थापितों ने पिपरवार कोयलांचल क्षेत्र स्थित न्यू मंगरदहा में बैठक की. बता दें कि पिपरवार भूमिगत खदान को शुरू करने को लेकर संबंधित ग्राम सभाओं की मंजूरी के साथ पर्यावरण बोर्ड की अनापत्ति के लिए आगामी 25 अगस्त को पिपरवार सीएचपी परियोजना परिसर में झारखंड राज्य प्रदूषण बोर्ड की तरफ से पर्यावरणीय लोक सुनवाई का आयोजन किया गया है. जिसका विस्थापितों ने विरोध करने का निर्णय लिया है. विस्थापितों की इस बैठक की अध्यक्षता मजदूर नेता इस्लाम अंसारी ने की . बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पिपरवार कोयला खदान खोले जाने के बाद विस्थापित हुए ग्रामीणों के मौलिक अधिकारों से वंचित रखा गया है. जिसमें न्यू मंगरदाहा से विस्थापित हुए ग्रामीणों को पुनर्वास स्थल, माल मोहरा पुनर्वास स्थल, कल्याणपुर पुनर्वास स्थल, चिरैयाटांड़ पुनर्वास स्थल आदि स्थानों पर शिक्षा, चिकित्सा सहित अन्य मौलिक सुविधाओं पर सीसीएल प्रबंधन गंभीर नहीं है. फिर दोबारा अशोका वेस्ट भूमिगत कोयला खदान खोले जाने की तैयारी में सीसीएल प्रबंधन है. इस बैठक को आशिक अली, क्यूम अंसारी, बदरुद्दीन अंसारी, मोहम्मद इदरीश, मोहम्मद इब्राहिम, रतन उरांव, कैलाश करमाली, सालकु गंझू, मंगल सिंह, असलम अंसारी, मोहम्मद मुख्तार अंसारी, अरशद अंसारी, लियाकत अंसारी, खुर्शीद अंसारी आदि ने भी संबोधित किया . बैठक में मुख्य रूप से कैलाश करमाली सहित आसपास क्षेत्र के सैकड़ों विस्थापित ग्रामीण उपस्थित थे .
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