Ranchi: इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवॉयरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी ने सामाजिक बुनियादी ढांचे और आजीविका के क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा को बढावा देने पर जोर दिया है. झारखंड के प्रमुख खनन जिलों पर आधारित रिपोर्ट जारी की गई है. रिपोर्ट का विमोचन हजारीबाग उपायुक्त नैंसी सहाय और बिष्णु परिदा, मुख्य संचालन अधिकारी, जेएसएलपीएस की मौजूदगी में जारी किया गया.
जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) के फंड का इस्तेमाल खनन से प्रभावित लोगों में दशकों से चली आ रही कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों के समाधान के लिए किया जाता है. आज भी खनन प्रभावित जिलों में ऊर्जा (बिजली) की कमी बड़ी चुनौती है. जिससे आजीविका क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा (DRE) के एकीकरण की योजना को लागू कर इस समस्या से निजाद पाया जा सकता है.
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खनन प्रभावित समुदायों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए डीएमएफ ट्रस्ट बनाया गया था. डीएमएफ का पैसा जिलों में संचालित खनन कंपनियों द्वारा भुगतान से आता है. वर्तमान में झारखंड में डीएमएफटी में 8600 करोड़ हैं. जो ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बाद भारत में तीसरा सबसे बड़ा राज्य है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि डीएमएफ के उपयोग से जिलों में सौर ऊर्जा का उत्पादन कर सकता है. शुरुआत हम स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र और स्वास्थ्य केंद्रों से कर सकते हैं. इससे विकास संकेतकों में सुधार होगा और नये रोजगार भी पैदा होंगे. सौरकरण तत्काल ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक तकनीकी और वित्तीय रूप से प्रभावी समाधान प्रदान करता है.

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इसे बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता की आवश्यकता है, जिसे डीएमएफ से पूरा किया जा सकता है. झारखंड के खनन जिलों में व्यापक स्वच्छ ऊर्जा’ कार्यक्रम को डिजाइन और कार्यान्वित कर सकते हैं जो जिलों के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है. झारखंड के पांच खनन जिलों- चतरा, धनबाद, हजारीबाग, रामगढ़ और पश्चिमी सिंहभूम पर केंद्रित एक संकेतक ऊर्जा जरूरतों के आकलन अध्ययन पर रिपोर्ट जारी किया गया है.