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भक्ति बालक ध्रुव जैसी कीजिए : हरिदास जी

Dhanbad : बैंक मोड़ तिवारी गली में श्रीमद्भागवत कथा 23 से 30 दिसम्बर तक आयोजित की गई है. दूसरे दिन 24 दिसंबर को  कथा में महाराज हरिदास जी ने भक्त ध्रुव की विशेष रूप से चर्चा की. कहा कि भक्ति बचपन का विषय है, 55 की उम्र कानहीं. बचपन में भक्ति नहीं की तो 55 के बाद कभी नहीं कर सकता. क्योंकि 55 के बाद मनुष्य की सारी इंद्रियां जवाब देने लगती हैं. इसलिए भक्त ध्रुव की कथा हमें यही सिखाती है. ध्रुव 5 साल में भगवान को पा गए और भगवान बैकुंठ से ध्रुव के दर्शन करने आए, दर्शन देने नहीं. इसलिए ध्रुव जैसी भक्ति करिये, प्रह्लाद जैसी करिए. महाराज ने भक्त अजामिल की कथा सुनाई, जिसमें एक विद्वान ब्राह्मण केवल संग के असर से गलत रास्ते पर चला गया और वेश्या गमन करने लगा. लेकिन उस अजामिल के परिवार में संतों का आगमन हुआ और संतों ने उसका अन्न खाया. अजामिल और उसकी पत्नी को बोले कि दसवां पुत्र तुम्हारे गर्भ से होगा, उसका नाम केवल नारायण रख देना और गुरु दक्षिणा के रूप में यही मांगा. संतों के कहने पर पुत्र का नाम नारायण रख दिया और बेटा के मोह में उसका नाम लिया तो पापी अजामिल को भगवान का बैकुंठ का धाम मिला. भगवान की कथा अगर मन से सच्चे हृदय से सुनेंगे तो भगवान कृपा करेंगे. फिर उन्होंने कपिल भगवान की कथा सुनाई. [wpse_comments_template]

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