Mithilesh Kumar
Dhanbad : डोभा निर्माण योजना धनबाद में फेल है. जिले में 1667 डोभा का निर्माण होना है पर अभी तक 177 का ही काम पूरा हुआ है. यानी अभी तक सिर्फ 10.62 प्रतिशत काम पूरा हुआ है. इधर, जो काम पूरा हो चुका है, उसे भी देखने वाला कोई नहीं है. यही वजह है कि डोभा सूखे हैं या उनका अस्तित्व ही समाप्त हो रहा है. ज्ञात हो कि वर्षा जल संरक्षण के लिए डोभा (तालाबनुमा छोटी संरचना) निर्माण योजना शुरू की गई थी.
धोखरा पंचायत के मांझी टोला के युगल किशोर सोरेन ने बताया कि इस पंचायत में चार-पांच लोगों ने अपनी जमीन में डोभा का काम कराया था. लेकिन इसका लाभ उन्हें भी नहीं मिलता है. बारिश होने पर डोभा में पानी जमा होता है, लेकिन कुछ दिन में सूख जाता है. कुछ डोभा देखरेख के आभाव में खत्म हो गए. बाघमारा प्रखंड की दरीदा गांव की रीता देवी ने कहा कि गांव में तीन-चार डोभा बना था. इसमें मुखिया-अधिकारी सब पैसा खाया और आधा-अधूरा तालाब जैसा गड्ढा खोद कर चला गया. गोपाल महतो ने कहा कि जमीन में पानी सोखने के लिए डोभा बना है, लेकिन, इसमें पानी नहीं ठहरता है. सब पानी बह जाता है. काम ठीक से नहीं किया, पैसा का बर्बादी हुआ. पूर्व मुखिया ने कहा कि वे जबाबदेह नहीं है, कुछ नहीं बोल सकते.
जल संरक्षण के लिए धनबाद सहित पूरे राज्य में यह योजना सात साल से चल रही है. मनरेगा के तहत यह काम पूरा कराया जाता है. इसके अलावा डीएमएफटी, 15 वें वित्त आयोग की राशि तथा विधायक निधि से भी यह काम होता है. डोभा के लिए 30 फीट लंबाई, 30 फीट चौड़ाई तथा 10 फीट गहराई जरुरी है. इसके साथ ही डोभा सीढ़ीनुमा होना चाहिए. डोभा के चारों तरफ तार या झाड़ियों से घेराबंदी जरुरी है. डोभा के किनारे घास की नियमित सफाई भी जरुरी है. बारिश के पानी के बहाव के रास्ते में डोभा का निर्माण होना चाहिए. डोभा के चारों तरफ पेड़ लगाना भी जरुरी है. यह धनी आबादी से दूर होना चाहिए. लेकिन, अधिकतर डोभा 4 से 6 फीट गहरे मिले. अन्य शर्तों को भी पूरा नहीं किया गया है.
वर्षा के जल को संरक्षित करने व भूमिगत जल को रिचार्ज करने के लिए डोभा का निर्माण कराया जाता है. डोभा के निर्माण पर अलग-अलग खर्च है, किसी में 4 लाख तो किसी में 6 और 8 लाख तक खर्च आता है. गड़बड़ी की शिकायत मिलने पर कार्रवाई भी होती है. शशि प्रकाश सिंह, उप विकाश आयुक्त
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