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घरेलू कामगारों ने की मांग, हमारे लिए साप्ताहिक अवकाश व न्यूनतम वेतन  कानून  लागू  हो

 Ranchi :  घरेलू कामगारों के राष्ट्रीय मंच ने सोमवार को एसडीसी हॉल, पुरुलिया रोड में संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया. बताया कि ई-श्रम पोर्टल पर अब तक देशभर में करीब 62 लाख श्रमिक रजिस्टर्ड हैं.  जानकारी दी कि झारखंड  में 6 लाख घरेलू कामगार हैं, बावजूद इनके हक़ में अब तक कोई ठोस कानून नहीं बन सका है.

 

मंच की राज्य संयोजक सिस्टर अंशु ने कहा कि 7 अक्टूबर को कोकर  स्थित कार्मेल निवास में मर्यादा पूर्ण कार्य  वर्षगांठ मनायी जाएगी. कहा कि  2011 में भारत सरकार ने जेनेवा कन्वेशन 189 को मंजूरी दी थी. जिसमे यह स्वीकार किया गया था कि घरेलू कामगार भी अन्य श्रमिको की तरह हैं. उनके अधिकारो की रक्षा करने की आवश्यकता है.

 

 

अध्यक्ष अनिपा देवी ने कहा कि घरेलू कामगारों के लिए अलग कानून होना चाहिए,  ताकि नके    साथ हो रहे अन्याय और शोषण के विरूद्ध आवाज उठाई जा सके. यूनियन की कोषाध्यक्ष रेनू लिंडा ने कहा कि घरेलू कामगारों को भी उचित मजदूरी मिलनी चाहिए. महामंत्री आशा देवी ने कहा घरेलू कामगारों की कोई छुट्टी नही होती है. किसी कारण काम पर नहीं जाने से उनके पैसे काट लिये जाते है. 

 


प्रेस कॉन्फ्रेंस में  सरकार से मांग की गयी  कि घरेलू कामगारों की सुरक्षा और सम्मान के लिए मजबूत कानून बनाया जाये.  कहा कि यह मुद्दा नया नहीं है. 2008 में संगठन बना, तब से अब तक 48 बार मांग की जा चुकी है. सांसदों, विधायकों और श्रम मंत्री को कई बार ज्ञापन सौंपे गये ,लेकिन आज तक उनकी मांगें अनसुनी रहीं.

 


मंच से जुडी महिलाओ ने कहा कि हम पर घरों को साफ सुथरा रखने की जिम्मेदारी रहती है. लेकिन हमें न तो न्यूनतम वेतन मिलता है, न ही साप्ताहिक छुट्टी मिलती है. राष्ट्रीय मंच ने  बताया कि 14 नवम्बर, 2025 को दिल्ली में जनसुनवाई होगी,  जिसमें देशभर से घरेलू कामगार शामिल होंगे.

 

 

मंच ने 29 जनवरी, 2026 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ठोस कानून बनाये जाने की दिशा में ठोस निर्णय होने की उम्मीद जताई है. संगठन ने मांग की कि घरेलू कामगारों के लिए विशेष समिति का गठन किया जाये और झारखंड सरकार उनके लिए साप्ताहिक अवकाश व न्यूनतम वेतन  कानून  लागू करे. 

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