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डूम्सडे क्लॉक का इशारा, क्या 100 सेकंड बाद खत्म हो जायेगी दुनिया!

Shivendra

साल 2020 को सबने खूब खरी-खोटी सुनाई. भला-बुरा कहा,  मगर 2021 को देखकर तो अब लोग कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं. सबके मन में यह सवाल तो एकाध बार जरूर आया होगा कि क्या ये दुनिया खत्म होने वाली है?  विपदा की इस घड़ी में "प्रलय की घड़ी" यानी डूम्सडे क्लॉक (Doomsday Clock )  भी यही कह रही है. जब लोग पिछले साल सोच रहे थे कि दुनिया खत्म होने के कगार पर है, डूम्सडे क्लॉक में आधी रात का वक्त होने में महज 100 सेकेंड बचे हुए थे. इस घड़ी की सुईयां साल 2020 से उसी स्थिति में हैं. दरअसल इस घड़ी में आधी रात होने में जितना कम वक्त बचेगा,  दुनिया खतरे के उतने ही पास होगी. इस घड़ी में 12 बजने का मतलब है, मौजूदा इंसानी आबादी में से 90 प्रतिशत लोगों की मौत!  यानी दुनियाभर में हाहाकार.

क्या बला है "डूम्सडे क्लॉक" या प्रलय घटिका

डूम्सडे क्लॉक या प्रलय घटिका को अल्बर्ट आइंस्टाइन द्वारा स्थापित परिषद ने बनाया है. इसके दल में शामिल 13 वैज्ञानिक नोबल विजेता हैं. डरावनी बात तो ये है कि 73 साल के इतिहास में पहली बार घड़ी मिड पाइंट के इतने करीब आयी है. इससे पहले भी डूम्सडे क्लॉक ने कई खतरों से आगाह किया है. मगर अमेरिका और रूस के शीतयुद्ध के दरम्यान भी यह सुई 12 बजने से 2 मिनट पीछे थी. 1949 में  जब रूस ने पहले परमाणु बम RDS-1 का परीक्षण किया, जिससे विश्व में परमाणु हथियारों की होड़ मच गयी, तब भी घड़ी की सुई को 12 बजने में 3 मिनट पर रखा गया था. यानी विकट परमाणु युद्ध के खतरों के वक्त भी सुईयां मिड पाइंट के इतनी पास नहीं आयी थीं.

वैज्ञानिकों ने भीषण विनाश के संकेत दिये हैं

माना जा रहा है कि ऐसा करके वैज्ञानिकों ने भीषण विनाश के संकेत दिये हैं.  इस प्रलय घटिका को बीएएस नाम की संस्था ने तैयार किया है. ये संस्था वैश्विक सुरक्षा मुद्दों पर बेहद गंभीरता से नजर रखती है.  अपने 73 साल के इतिहास में यह घड़ी सबसे चिंतनीय पोजिशन पर मौजूद है. डूम्स डे क्लॉक की भविष्यवाणी `द बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स` में छपती है, जिसे आप नीचे दिये लिंक पर पढ़ सकते हैं.">https://thebulletin.org/doomsday-clock/current-time/">

https://thebulletin.org/doomsday-clock/current-time/



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