Ranchi: पद्म भूषण से सम्मानित डॉ कामेल बुल्के की जयंती हर्षोल्लास से मनाई गई. यह आयोजन मनरेसा हाउस द्वारा आयोजित था. डॉ कामेल बुल्के की प्रतिमा पर श्रद्धापूर्वक श्रद्धांजलि एवं पुष्प अर्पित की गई.
सत्य भारती के निदेशक फादर जस्टीन तिर्की ने डॉ कामिल बुल्के के सम्मान में एक गीत प्रस्तुत किया. इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि कामेल बुल्के हिंदी, संस्कृत भाषा के महान विद्वान थे और हिंदी अंग्रेजी शब्दकोश के निर्माता भी रहे है.
इस दौरान मनरेसा हाउस के रेक्टर फादर अलेक्स टोप्पो, रांची विश्वविद्यालय की पूर्व हिन्दी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ मंजू ज्योत्स्ना, फादर जेम्स टोप्पो, फादर क्लेमेंट एक्का पूर्व उप प्राचार्य संत जेवियर्स कॉलेज रांची, खूंटी डायसिस के विकारियेट जेनरल फादर बिशु बेंजामिन, सत्य भारती के निदेशक डॉ जस्टीन तिर्की, हॉफमैन ला एसोसियेट खुंटी इंचार्ज अधिवक्ता फादर महेंद्र पीटर तिग्गा, सहायक निदेशक सत्य भारती फादर अलेक्स तिर्की, टीएसी के पूर्व सदस्य रतन तिर्की, अधिवक्ता फादर पंकज कुजूर, फादर आंनद, फादर राकेश केरकेट्टा, सिस्टर जुलिया, सिस्टर सुसाना, सिस्टर वर्जिनिया, उर्सुलाइन कॉन्वेंट सिस्टर पुष्पा एरगेट, अधिवक्ता मेधा कंडुलना, अधिवक्ता करिश्मा नगेसिया और उर्सलाईन कान्वेंट स्कूल की छात्राओं, माईनर सेमिनरी के ब्रदरों ने श्रद्धांजलि श्रद्धासुमन अर्पित किया.
पूर्व टीएसी सदस्य रतन तिर्की ने संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ कराया
इस अवसर पर रांची विश्वविद्यालय के हिदी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ मंजू ज्योत्स्ना ने कहा कि डॉ कामेल बुल्के ने बेल्जियम में जन्म लिया था. बावजूद इसके भारत में अपने आप को समर्पित कर दिया. वे हिंदी और संस्कृत भाषा के विद्वान थे. भारतवर्ष में हर नागरिक को जोड़ने का काम किया है. आज हिंदी भाषा समृद्ध भाषा बन चुका है. इसलिए हिंदी संस्कृत भाषा का अध्ययन आज जरूरी है.
मनरेसा हाउस के रेक्टर फा अलेक्स टोप्पो ने बताया कि डॉ कामिल बुल्के का हिंदी भाषा को समृद्ध करने में बहुत बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने हिंदी संस्कृत भाषा के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. खूंटी डायसिस के विकारियेट जेनरल फा बिशु बेंजामिन ने कहा कि डॉ कामेल बुल्के के बताये मार्ग पर चलने का संकल्प लेते है.
फादर कामेल बुल्के की जीवनी स्कूली पाठ्यक्रम में कराए शामिल : रतन तिर्की
पूर्व सदस्य जनजातीय परामर्शदातृ परिषद टीएसी रतन तिर्की ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि डॉ कामिल बुल्के पथ में उनकी आदमकद प्रतिमा लगाई जाए, ताकि लोग पहचान सके और स्कूली पाठ्यक्रम में उनकी जीवनी को शामिल किया जाए.
कार्यक्रम को अधिवक्ता फादर महेंद्र पीटर तिग्गा ने संचालित किया और कहा कि डॉ कामिल बुल्के को पीढ़ी दर पीढ़ी याद करते रहेंगे. इस अवसर पर उर्सुलाईन कॉन्वेंट स्कूल और उर्सुलाईन कॉन्वेंट वर्किंग वुमेन्स होस्टल की छात्राओं ने डॉ कामिल बुल्के को श्रद्धांजलि देते हुए उनके सम्मान में गीत गाए.
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