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हंटरवाली के नाम से मशहूर डॉ. मंजरी ने विद्यार्थियों को दिये सफलता के टिप्स

डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान में डॉ. मंजरी छात्र-छात्राओं के साथ हुई फेस टू फेस, डीजीपी अजय कुमार सिंह सहित कई हुए शामिल Ranchi : हंटरवाली के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त बिहार की पहली महिला आईपीएस डॉ. मंजरी जरूहार रांची में कॉलेज और विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के बीच फेस टू फेस कार्यक्रम में शामिल हुईं. उन्होंने छात्र-छात्राओं को करियर में आगे बढ़ने के लिए जरूरी टिप्स दिये. कल्याण विभाग द्वारा डॉ. रामदयाल मुंडा शोध संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने छात्रों को टिप्स देते हुए कहा कि इस देश में महिलाओं के लिए नौकरी आरक्षित है. इसका पूरा फायदा बच्चियों को उठाना चाहिए. उन्होंने अपने करियर से जुड़े पुलिस सेवा की नौकरी के प्रति छात्रों को अधिक प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा कि पुलिस की नौकरी के लिए कोशिश करें. इसके लिए आप सभी आगे आएं. पुलिस सेवा में कांस्टेबल, सब इंस्पेक्टर और डीएसपी बनने की तैयारी करें. आज सभी जगह महिलाएं आगे आ रही हैं. इसलिए पुलिस सेवा में भी महिलाओं को आगे आना चाहिए. उन्होंने बताया कि उन्होंने ही महिला बटालियन की नींव रखी थी. लड़कियां हर तरह की करियर को चुने. कोई काम करने के पहले उस काम को सीखना बहुत जरूरी है. तब ही आप आगे बढ़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि उनकी नियुक्ति बड़ी मुश्किलों में बोकारो स्टील सिटी में हुई थी. क्योंकि यह ग्रामीण क्षेत्र में आता था. इस मौके पर दीनदयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय, रांची विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं मौजूद थी. इस मौके पर डीजीपी अजय कुमार सिंह, एडीजी आरके मल्लिक, सेवानिवृत आईपीएस अधिकारी रेजी डुंगडुंग सहित कई उपस्थित थे.

लोगों को सशक्त और अपराध से बचने के लिए मैं चलाती थी हंटर 

उन्होंने हंटरवाली का राज खोलते हुए बताया कि हंटरवाली नाम के पीछे भी कहानी है. लोग सशक्त हों और अपराध करने से बचें. इसके लिए वे हंटर लेकर चलती थीं. इसके बाद तो उन्हें हंटरवाली का ही नाम दे दिया गया. मैं बस जहां गयी वहां सुबह- शाम ईमानदारीपूर्वक काम करते गयी. बढ़िया काम करने की वजह से भारत सरकार ने उन्हें पुलिस एकेडमी में नियुक्त किया. जहां पर मैंने पांच साल तक आईपीएस को ट्रेनिंग दी.

मैडम-सर पुस्तक के बारे में बताया 

डॉ. मंजरी ने अपने द्वारा लिखित पुस्तक मैडम-सर के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि इस पुस्तक को पुलिस सेवा में जाने की ईच्छा रखने वाले छात्रों को जरूर पढ़ना चाहिए. इसमें ट्रेनिंग से लेकर पूरे सर्विस काल में जो अनुभव हुआ, उसके बारे में विस्तार से मैंने लिखी है. उम्मीद करते हैं कि यह पुस्तक छात्रों को पंसद आएगी. टीआरआई निदेशक रणेंद्र कुमार ने अपने अनुभव को साझा किया. उन्होंने कहा कि चाईबासा में जैप के 29 जवान शहीद होते हैं. ऐसी पीड़ा इस पुस्तक में उनके दर्द को बयां करती है. जब बच्चे अपने माता- पिता से मिलने आते हैं और एक पुलिस ऑफिसर अपने जिम्मेवारी से दबे होने के बाद कैसा उनका व्यवहार अपने बच्चों के साथ होता है. ऐसी तमाम चीजों का बहुत अच्छे तरह से इसमें चित्रण किया गया है. इसे भी पढ़ें : दुस्साहस">https://lagatar.in/audacity-molesting-girl-students-by-entering-the-school-for-protesting-the-officer-was-bled/">दुस्साहस

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