Ranchi : सदन में बुधवार को पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर के जवाब पर दो बार खूब शोर-शराबा हुआ. मंत्री के जवाब के कारण सत्ता पक्ष की किरकिरी की नौबत आ गयी. स्थिति यहां तक पहुंची कि सत्ता पक्ष के वरिष्ठ विधायक स्टीफन मरांडी और संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम को सरकार के बचाव के लिए आगे आना पड़ा. दरअसल भाजपा विधायक बिरंची नारायण के एक सवाल के जवाब में पेयजल मंत्री ठाकुर ने कह दिया कि उन्हें पता ही नहीं है कि चापाकलों की मरम्मत कौन सा विभाग कराता है.
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सांसद-विधायक मद से लगे चापाकलों की मरम्मत पर था सवाल
भाजपा विधायक बिरंची नारायण का सवाल था कि राज्य में कितने चापाकल खराब हैं. कितनों की मरम्मती का काम चल रहा है और गर्मी आने के पहले कब तक इन्हें ठीक कर लिया जायेगा. इस पर मंत्री ने उन्हें आंकड़े बताये. इसके बाद बिरंची नारायण ने पूछा कि सांसद और विधायक निधि से लगनेवाले चापाकलों की मरम्मत कौन कराता है.
इसपर मंत्री ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है कि सांसद-विधायक मद से लगनेवाले चापाकलों की मरम्मत कौन कराता है. मंत्री के इस जवाब पर हंगामा शुरू हो गया.
पेयजल मंत्री को अपने ही विभाग की जानकारी नहीं-बिरंची
बिरंची नारायण ने कहा कि जब मंत्री को अपने ही विभाग की जानकारी नहीं है, तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर मंत्री को जवाब नहीं पता था,तो सवाल को अगले दिन के लिए रखा जा सकता था. यह कैसा जवाब है कि मंत्री को पता ही नहीं कि चापाकल कौन बनायेगा. इसपर दोनों तरफ से काफी देर तक हंगामा होता रहा.
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सीपी सिंह और आसन में नोंकझोंक, स्टीफन ने किया हस्तक्षेप
इसी बीच सीपी सिंह खड़े हो गये और आसन को संबोधित कर कहने लगे कि आसन हमेशा मंत्री के जवाब से संतुष्ट हो जाता है, फिर विपक्ष के पास क्या रास्ता रह जाता है. इसे लेकर स्पीकर और सीपी सिंह के बीच नोकझोंक होने लगी. स्पीकर का कहना था कि सीपी सिंह हमेशा आसन पर आरोप लगाते रहते हैं. ये अच्छी बात नहीं है. इसपर फिर हंगामा होने लगा.
इसी बीच स्टीफन मरांडी उठे और आसन से आग्रह किया कि राज्य में जहां भी जिस भी मद से जो भी चापाकल लगे हैं, उनकी मरम्मत विभाग ही करे, यह आदेश दिया जाये.
सांसद-विधायक अपनी मर्जी से लगवाते हैं चापाकल – मंत्री
स्टीफन की इस बात पर मंत्री मिथिलेश ठाकुर फिर खड़े हो गये और कहा कि सांसद और विधायक निधि से जो भी चापाकल लगते हैं. वे विभाग की मर्जी से नहीं लगा कर अपनी मर्जी की एजेंसियों से लगवाये जाते हैं. इसमें बहुत सी विभिन्नताएं होती हैं. इसपर फिर से भाजपा विधायक खड़े हो गये और शोर-शराबा होने लगा. अंत में संसदीय कार्यमंत्री अलमगीर आलम खड़े हुए और कहा कि सांसद-विधायक मद से जो भी चापाकल लगाये जाते हैं. वे भी पीएचइडी नॉर्म्स पर ही लगाये जाते हैं. इसलिए विभाग सभी चापाकलों की सूची बनाये और सबकी मरम्मत का जिम्मा विभाग ही उठाये.
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