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पेयजल घोटाले में 19.73 करोड़ की फर्जी निकासी में से इंजीनियरों ने 3-3 करोड़ नकद लिया

Shakeel Akhter Ranchi: पेयजल विभाग में हुए घोटाले की रकम 19.73 करोड़ में से 3-3 करोड़ रुपये इंजीनियरों ने लिये. योजनाओं के एस्टीमेट के मुकाबले राशि के आवंटन के लिए विभाग में 15 प्रतिशत देना पड़ता था.  इसके साथ ही टेंडर लागत का 10 प्रतिशत अधीक्षण अभियंता निरंजन प्रसाद लेते थे. इस रकम की वसूली रिटायर्ड इंजीनियर के सहारे की जाती थी. पेयजल घोटाले में फर्जी निकासी के आरोपी संतोष कुमार ने सरकार को लिखे अपने पत्र में इस रकम की निकासी और बंदर बांट का उल्लेख किया है.
संतोष कुमार ने सरकार को भेजे गये अपने जवाब में दो फर्जी निकासी का उदाहरण पेश किया है. साथ ही इस रकम की निकासी के बाद उसके बंटवारे का उल्लेख किया है. 
संतोष ने अपने पत्र में लिखा है कार्यपालक अभियंता राधेश्याम रवि और कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर के कार्यालय में 19.73 करोड़ रुपये की फर्जी निकासी हुई. इसमें से राधेश्याम रवि के कार्यकाल में 5.11 करोड़ और चंद्रशेखर के कार्यकाल में 14.61 करोड़ रुपये की निकासी हुई. राशि की निकासी दिसंबर 2022 से नवंबर 2023 तक के बीच की गयी.  https://lagatar.in/wp-content/uploads/2025/04/Screenshot-2025-04-08-at-3.43.04

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राशि की निकासी के बाद अधीक्षण अभियंता ने निरंजन कुमार ने 3.00 करोड़ रुपये नकद लिये. कार्यपालक अभियंता चंद्रशेखर ने 3.50 करोड़ और कार्यपालक अभियंता राधेश्याम रवि ने 1.00 करोड़ रुपये लिये. इसके अलावा प्रमंडलीय लेखा पदाधिकारी परमानंद कुमार ने 1.00 करोड़ रुपये लिये.  परमानंद के निर्देश पर बिल क्लर्क संजय कुमार को 10 लाख रुपये नकद दिये गये. बिल क्लर्क को सात लाख रुपये ऑनलाईन दिया गया. 
संतोष ने अपने पत्र में निरंजन कुमार द्वारा भी फर्जी बिल के सहारे इंधन मद से 4.47 करोड़ रुपये की निकालने और बंदरबांट करने का उल्लेख किया है. पत्र में विभाग से आवंटन लेने के लिए पैसों का भुगतान करने का उल्लेख किया गया है.  पत्र में कहा गया है कि विभाग से आवंटन लेने के लिए एस्टीमेट का 15 प्रतिशत दिया जाता है. इसके बाद टेंडर लागत का 10 प्रतिशत की वसूली निरंजन कुमार के लिए की जाती है. इस राशि की वसूली विभाग के रिटायर्ड इंजीनियर सुदामा मेहता करते हैं.

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