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शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है DSPMU, 9 भाषाओं को संभाल रहे हैं को-ऑर्डिनेटर

  • स्थायी शिक्षक 2026 में हो जायेंगे सेवानिवृत

Ranchi :  डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय (डीएसपीएमयू) में चल रहे नौ क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा विभाग विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है. कॉलेज में जहां भाषाओं को संरक्षित रखने और बढ़ावा देने की आवश्यकता होती है, वहीं आज स्थायी शिक्षकों की कमी से अपनी कमियां गिना रहे हैं. कॉलेज में बुनियादी संसाधनों का अभाव है. ऐसी स्थिति में कॉलेज प्रशासन की अनदेखी उजागर हो रही है.

 

नौ भाषाओं की व्यवस्था संभाल रहे हैं खोरठा विभागध्यक्ष

वर्तमान में विभाग की पूरी जिम्मेदारी खोरठा विभागाध्क्ष डॉ.बिनोद कुमार महतो संभाल रहे हैं. जो अकेले ही नौ भाषाओं की व्यवस्था को देख रहे हैं. यही नहीं वे को-ऑर्डिनेटर पद का दायित्व निभा रहे हैं. लेकिन नवंबर 2026 में वे सेवानिवृत्त हो जायेंगे. इसके बाद विश्वविद्यालय में एक भी स्थायी शिक्षक नहीं बचेगा, जिससे इन भाषाओं का भविष्य अंधकार में चला जाएगा.

 

कमरे नहीं, संसाधन नहीं, एचओडी नहीं

विश्वविद्यालय में नौ भाषाओं की पढ़ाई होती हैं. जिसमें पांच जनजातिय भाषाओं और चार क्षेत्रिय भाषाओ की पढ़ाई होती है. लेकिन इन विभागों को उचित कक्षा उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. इसके साथ ही विभागाध्यक्षों के लिए बैठने तक की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है. इसमें आठ भाषाओं में एक भी एचओडी नहीं है.

 

खोरठा भाषा विभागाध्यक्ष बिनोद कुमार महतो ने बताया कि प्रत्येक भाषा विभाग के लिए कम से कम चार-पांच संरक्षित कमरे, टेबल-कुर्सी, पीने के पानी और अन्य शैक्षणिक संसाधन होने चाहिए, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है. पीने के पानी की जो व्यवस्था थी, वह भी खराब पड़ी है और उसकी सुध लेने वाला कोई नहीं.

 

विश्वविद्यालय पहल करे तो सुधर सकती है स्थिति

डॉ बिनोद कुमार महतो ने बताया कि शिक्षकों और संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए कॉलेज प्रशासन को संज्ञान लेने की आवश्यकता है. स्थायी शिक्षकों की बहाली जल्द करें,तभी विद्यार्थी सही ढंग से पढ़ सकेंगे.आधारभूत सुविधाओं का विकास और विभागीय ढांचे को मजबूत करने की पहल नहीं की गई, तो क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई औपचारिकता बनकर रह जाएगी.


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