मोदी सरकार की वन अधिकार अधिनियम की उपेक्षा से लाखों आदिवासी परिवार अपनी पारंपरिक ज़मीन से बेदखली के कगार पर हैं।
2006 में कांग्रेस ने ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने और आदिवासियों को उनके जल, जंगल और ज़मीन पर अधिकार सुनिश्चित करने के लिए वन अधिकार अधिनियम (FRA) लागू किया था। लेकिन… — Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April">https://twitter.com/RahulGandhi/status/1907076912893329864?ref_src=twsrc%5Etfw">April
1, 2025
2019 में मोदी सरकार इस कानून का बचाव नहीं कर सकी थी
राहुल गांधी ने कहा कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे सभी लोगों को उनकी ज़मीन से बेदखल करने का आदेश दिया जिनके दावे खारिज हो चुके थे, जिससे देशभर में भारी विरोध हुआ. इसके जवाब में कोर्ट ने बेदखली पर रोक लगाई और खारिज दावों की गहन समीक्षा का निर्देश दिया. अब कल सुप्रीम कोर्ट में फिर से इस मामले की सुनवाई है. एक बार फिर, मोदी सरकार लापता है. कांग्रेस सांसद ने कहा, 2019 में भी वह(मोदी सरकार) इस कानून का बचाव नहीं कर सकी थी और आज भी आदिवासी अधिकारों के पक्ष में खड़ी नहीं दिख रही है. सबसे चिंताजनक बात यह है कि लाखों लंबित और खारिज दावों की समीक्षा या पुनर्विचार के लिए अब तक कोई गंभीर प्रयास नहीं हुआ है. अगर मोदी सरकार सच में आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करना चाहती है और लाखों परिवारों को बेदखली से बचाना चाहती है, तो उसे तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और अदालत में वन अधिकार अधिनियम का मजबूती से बचाव करना चाहिए. इसे भी पढ़ें : वक्फ">https://lagatar.in/india-block-meeting-in-parliament-on-wakf-amendment-bill-decision-to-oppose-the-bill/">वक्फसंशोधन विधेयक पर संसद में इंडिया ब्लॉक की बैठक, बिल का विरोध करने का निर्णय
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