Ranchi : निजी अस्पतालों को भुगतान में विलंब होने के कारण रेलवे के कर्मियों को मौत का सामना करना पड़ रहा है. यदि अपने कर्मियों के स्वास्थय के प्रति रेल अधिकारी सजग होते तो कर्मियों को कोरोना संक्रमण और अन्य रोगों के उपचार के लिए मौजूदा समय में दर-दर नहीं भटकता पड़ता. रांची के दस अस्पतालों की महज 11.5 करोड़ रुपए बकाए के कारण रेल कर्मियों के सामने गंभीर स्थिति उत्पन्न हुई है. रेल कर्मचारी इसके लिए रेल प्रबंधन को दोषी ठहरा रहे हैं. संक्रमण में रेल कर्मी अपनी व्यवस्था से विभिन्न अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं.
रेल कर्मियों और उनके परिजनों से कमाने वाले निजी अस्पतालों ने बुरे दिनों में साथ छोड़ दिया है. कोरोना संक्रमण के इस बुरे दौर में रेल परिवार इसका खामियाजा भुगत रहा है. आज रेल कर्मियों को अच्छी चिकित्सा व्यवस्था नहीं मिल रही है. इन अस्पतालों ने कर्मियों और उनके परिजनों का इलाज बंद कर दिया है. कर्मियों को इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.
रेल मंडल में अभी भी करीब 450 से अधिक रेलकर्मी और उनके परिजन कोरोना से संक्रमित हैं. इनमें गंभीर रूप से संक्रमितों का रिम्स समेत निजी अस्पतालों में इलाज चल रहा है. रेल हॉस्पिटल हटिया में भी संक्रमितों का इलाज चल रहा है. लेकिन जरूरत के समय इन अस्पतालों ने रेलवे को ठेंगा दिखा दिया है.
इन हॉस्पिटल्स में हो रहा रेलकर्मियों का इलाज
रेलवे कर्मियों की इलाज रांची में गुरुनानक अस्पताल, राज अस्पताल, द सेवेन पाम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, भगवान महावीर मेडिका सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, देवकमल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, आर्किड मेडिकल सेंटर, रानी हॉस्पिटल, श्री जगन्नाथ हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मां रामप्यारी ऑर्थो हॉस्पिटल प्रा. लिमिटेड और कानटाकेयर आई हॉस्पिटल्स में हो रहा है.
इन अस्पतालों में सभी स्पेशलाइज्ड ओपीडी, इनडोर ट्रीटमेंट से लेकर आईसीयू, सूपर स्पेशियलिटी ट्रिटमेंट और विविध गंभीर रोगों के उपचार उपलब्ध हैं. हालांकि रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि इन अस्पतालों का बकाया पहले भी रेलवे के हुआ करता था. लेकिन अच्छा-खासा बकाया होने पर भी ये सभी निजी अस्पताल रेल कर्मियों को चिकित्सा उपलब्ध कराती थीं. लेकिन इस कोरोना संक्रमण के दौर में कुछ रेलवे की लापरवाही और निजी अस्पतालों की अवसरवादिता के बीच रेलवे कर्मी और उनके परिजन पिस रहे हैं. रांची रेल मंडल के पास चिकित्सा के अपने भी संसाधन हैं. लेकिन यह संसाधन सीमित हैं. यहां तक कि इसके पास दो वेंटिलेटर भी उपलब्ध है. लेकिन व्यवस्था नहीं होने से वह भी रेल कर्मियों के लिए काम का नहीं.