- रिपेयर और मेंटेनेंश में सालाना खर्च 55.84 करोड़
- लोड की क्षमता से अधिक बिजली लेने पर लाइन होती है ट्रिप
Ranchi : झारखंड की बिजली व्यवस्था लगभग तीन दशक पुराने तारों पर टिकी हुई है. इन लाइनों को अब तक बदला नहीं जा सका है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर साल लाइनों के रिपेयर और मेंटेनेंस में 55.84 करोड़ खर्च किए जाते हैं.
इसका खुलासा झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग को सौंपे गए रिर्पोट में हुआ है. वहीं तारों की हालत इतनी जर्जर हो गई है कि ट्रिपिंग आम समस्या बन गई है. इसी वजह यह है कि ट्रांसमिशन लाइन लोड नहीं ले पा रहे हैं. खास कर बारिश के मौसम में पुराने तार टूट जाते हैं.
लोड नहीं ले पा रहा ट्रांसमिशन लाइन
झारखंड का ट्रांसमिशन लाइन लोड नहीं ले पा रहा है. क्षमता से अधिक बिजली लेने पर तार और पावर प्लांट भी ट्रिप कर रहा है. जिसके कारण विद्युत आपूर्ति पर भी सीधा असर पड़ रहा है. झारखंड में दिन ब दिन बिजली की डिमांड बढ़ती ही जा रही है. झारखंड में सामान्य दिनों में औसतन बिजली की मांग 3000 मेगावाट की है. जबकि ट्रांसमिशन लाइन के लोड लेने की क्षमता लगभग 2800 मेगावाट की है. ट्रांसमिशन लाइन से बिजली वितरण निगम को 2742 मेगावाट और रेलवे को 70 मेगावाट बिजली दी जाती है.
अंडरग्राउंड केबलिंग का काम अधूरा
रांची में अंडरग्राउंड केबलिंग का काम छह साल से चल रहा है, लेकिन अभी तक यह काम पूरा नहीं हुआ है. इस योजना पर अब तक करीब 410 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं. अंडरग्राउंड केबलिंग का उद्देश्य लटकते तारों से निजात दिलाते हुए बिजली कटौती से भी राहत दिलाने की थी. लेकिन इनमें कोई अब तक पूरी नहीं हुई है. अंडरग्राउंड केबलिंग के लिए खोदी गई सड़क की वजह से लोगों को आने-जाने में समस्याएं झेलनी पड़ती हैं.
फैक्ट फाइल
• सालाना ट्रांसमिशन शुल्कः 4505.09 करोड़
• बिजली वितरण का ट्रांससमिशन शुल्क सालानाः 4392 करोड़
• रेलवे का सालाना ट्रांसमिशन शुल्कः 366 करोड़
• कर्मचारी का वेतनः 57.70 करोड़
• रिपेयर मेंटेनेंस 55.84 करोड़ खर्च
• प्रशासनिक खर्चः 10.73 करोड़
• ट्रांसमिशन लाइन के लोड लेने की क्षमताः 2812 मेगावाट
• ट्रांसमिशन लाइन से वितरण निगम को बिजलीः 2742 मेगावाट
• ट्रांसमिशन लाइन से रेलवे को बिजलीः 70 मेगावाट
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